हजारीप्रसाद द्विवेदी हिंदी साहित्य के स्तंभ हैं। साहित्य की विभिन्न विधाओं में उनकी सक्रियता एक सी रही है-चाहे आलोचना रही हो, निबंध रहा हो या इतिहास और उपन्यास। सभी क्षेत्रों में उन्होंने उत्कृष्ट और प्रचुर लिखा है। हिंदी के ऐसे विरल व्यक्तित्वों में एक हजारीप्रसाद द्विवेदी का समृद्ध-जटिल और अर्थबहुल रचना-संसार हमें आकर्षित भी करता है और अचंभित भी। \nइस पुस्तक में द्विवेदी जी की रचनात्मकता के सभी पक्षों को समेटने की कोशिश की गयी है। आलोचक, उपन्यासकार, इतिहासकार, निबंधकार के रूप में तो वे यहाँ हैं ही, साथ ही उनकी संस्कृति-चिता को भी इस पुस्तक में विशेष रूप से रेखांकित किया गया है। यह इस पुस्तक के आयाम को बढ़ाता है।
Add a review
Login to write a review.
Customer questions & answers