हमनवाई न थी शुरू से आखीर तक एक प्रेम कथाहै। लेकिन तसनीम खान के इस उपन्यास को ढेर\nसारी प्रेम कथाओं की कतार में नहीं रखा जा सकता।क्योंकि यह निरी प्रेम कथा नहीं है, हमारे समकाल में\nछाये एक ख़ौफ का ख़ामोश प्रतिकार भी है। इस प्रेम कथा में प्रेमी हिन्दू है और प्रेमिका मुस्लिम । प्रेमी\nयानी शिवेन और प्रेमिका यानी सनम उस्मानी का प्यार कालेज के दिनों में परस्पर आकर्षण से शुरू\nहोता है और फेसबुक तथा वाट्सऐप के जरिए परवान चढ़ता है।
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