हिन्दुत्व भारत की प्रकृति है और संस्कृति भी। यह भारत के लोगों की जीवनशैली है। इस जीवनशैली में सभी विश्वासों के प्रति आदरभाव है, लेकिन भारतीय राजनीति के आख्यान में हिन्दुत्व के अनेक चेहरे हैं। उग्र हिन्दुत्व, मुलायम (सॉफ्ट) हिन्दुत्व, साम्प्रदायिक हिन्दुत्व आदि अनेक विशेषण मूल हिन्दुत्व पर आक्रामक हैं। अंग्रेज़ी भाषान्तर में हिन्दुत्व को हिन्दुइज़्म कहा जाता है। 'इज़्म' विचार होता है। विचार 'वाद' होता है। वाद का प्रतिवाद भी एक विचार होता है। पूँजीवाद 'कैपिटलिज़्म' है। समाजवाद 'सोशलिज़्म' है। इसी तरह वैज्ञानिक समाजवाद 'कम्युनिज़्म' है। अंग्रेज़ी का 'हिन्दुइज़्म' भी हिन्दूवाद का अर्थ देता है, लेकिन हिन्दुत्व 'हिन्दूवाद' नहीं है। हिन्दुत्व समग्र मानवीय अनुभूति है। वीर होना 'वीरवाद' नहीं होता, वीर होने का भाव वीरता है। दयावान होना 'दयावाद' नहीं दयालुता है। हिन्दू होना हिन्दुता या हिन्दुत्व है। कुछ विद्वान हिन्दू को मुसलमानों द्वारा दिया गया शब्द मानते रहे हैं, लेकिन यह सही नहीं है। 'हिन्दू' शब्द का प्राचीनतम उल्लेख 'अवेस्ता' में है और अवेस्ता इस्लाम से सैकड़ों वर्ष पुराना है। डेरियस (522-486 ई.पू.) के शिलालेख में भी 'हिन्दू' शब्द का उल्लेख है। 'हिन्दू' शब्द विशेष संस्कृति वाले जनसमूह का द्योतक है।\n\n- इसी पुस्तक से
हृदयनारायण दीक्षित का जन्म ग्राम लउवा, जिला उन्नाव, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनकी शिक्षा एम.ए. अर्थशास्त्र है। 1972 में जिला परिषद् उन्नाव के सदस्य रहे। आपातकाल के दौरान (1975-1977) 19 माह जेल में रहे। उन्नाव जनपद में पुलिस व प्रशासनिक अत्याचार, स्थानीय, प्रदेशीय समस्याओं को लेकर लगातार आन्दोलन, पदयात्राएँ, जनअभियान किया है। वर्ष 1981 से अब तक भारतीय आदर्श ऐंग्लो संस्कृति इण्टर कालेज, पुरवा, उन्नाव के प्रबन्धक हैं। पं. दीनदयाल उपाध्याय कन्या इण्टर कालेज मवई, उन्नाव के संस्थापक प्रबन्धक हैं। सम्प्रति सदस्य विधान सभा (166 भगवनत नगर उन्नाव) व मुख्य प्रवक्ता, भाजपा, उत्तर प्रदेश । वर्तमान में अध्यक्ष, विधान सभा उत्तर प्रदेश हैं। पुरस्कार व सम्मान : हृदयनारायण दीक्षित और उनकी पत्रकारिता पर शोध तथा पीएच.डी. पत्रकारिता, मध्य प्रदेश सरकार का गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार, राष्ट्रधर्म का भानु प्रताप शुक्ल पत्रकारिता सम्मान, राजस्थान के छोटी खाटू पुस्तकालय का दीनदयाल उपाध्याय सम्मान। प्रकाशित कृतियाँ : ऋग्वेद और डॉ. रामविलास शर्मा, मधुविद्या, सांस्कृतिक राष्ट्रदर्शन, भारतीय संस्कृति की भूमिका, भगवद्गीता, सांस्कृतिक अनुभूति राजनीतिक प्रतीति, भारतीय समाज राजनीतिक संक्रमण, जम्बूद्वीपे भरतखण्डे, संविधान के सामन्त, पं. दीनदयाल उपाध्याय दर्शन, अर्थनीति, राजनीति, तत्त्वदर्शी पं. दीनदयाल उपाध्याय, भारत के वैभव का दीनदयाल मार्ग, अम्बेडकर का मतलब, राष्ट्र सर्वोपरि, भारत की राजनीति का चारित्रिक संकट, सुवासित पुष्प श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संसदीय भाषणों का संकलन सम्पादन, राष्ट्राय स्वाहा, ऊँ, शिव, सोचने की भारतीय दृष्टि, भारतीय अनुभूति का विवेकानन्द, मधुरसा। विभिन्न दैनिक पत्रो-पत्रिकाओं में लेखन, अब तक 4 हज़ार आलेख प्रकाशित।
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