राम का भक्त-वत्सल एवं जन-उद्धारक चरित सदैव भक्तों को लुभाता रहा है; लेकिन उनका उदात्त जीवन जीने का संकल्प मानवता के लिए सनातन पाथेय बना हुआ है। मानवीय सम्बन्धों को जिस गरिमा के साथ राम अपने आचरण में साकार करते हैं, वह हर सुसंस्कृत मनुष्य का ललकपूर्ण प्राप्य है। इसीलिए राम कभी पुराने नहीं पड़ते। उनका स्मरण सदैव हमारे मन-प्राण को ताजगीपूर्ण सुवास से भर देता है। \n\nआखिर राम जन-मन को इतने प्रिय क्यों हैं? राम इतने विशिष्ट क्यों हैं? राम समस्त अवतारों में सर्वाधिक दु:ख उठानेवाले हैं, इसीलिए सर्वाधिक सुख देनेवाले भी हैं। भक्त-वत्सल प्रभु भक्त के दु:ख की पीड़ा के दंश को स्वयं जानते हैं। अत: वे अपने भक्तों को कभी भी दु:ख की आग में नहीं पड़ने देते। \n\nमूल्यों एवं आदर्शों से हीन जीवन हिन्दू मन को कभी रास नहीं आता है, इसीलिए समस्त अवतारों में उसने श्रीराम को सर्वाधिक आस्था व दृढ़ता से अपनाये रखा है। \n\nप्रस्तुत पुस्तक ‘हरि कथा अनन्ता’ में राम और रामायण के मर्म की व्यावहारिक व्याख्या की गई है। प्रभु राम की कीर्ति-गाथा को इसमें बड़ी श्रद्धा के साथ वर्णित किया गया है। आशा है, इसे पढ़कर सुधी पाठकों को अधिक आनन्द और रस आयेगा।
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