‘हिन्दी और मलयालम तुलनात्मक साहित्य : एक परिचय’ \nतुलनात्मक साहित्य एक से अधिक भाषाओं में रचित साहित्य का अध्ययन है और तुलना इस अध्ययन का मुख्य अंग है। क्रोचे का कहना है कि 'तुलनात्मक साहित्य' एक स्वतन्त्र विद्यानुशासन बन ही नहीं सकता क्योंकि किसी भी साहित्यिक अध्ययन के लिए तुलना एक आवश्यक अंग है। दूसरे विद्वान भी कहते हैं कि साहित्य का अध्ययन करते हुए तुलना करने का मतलब सीधे साहित्य का अध्ययन करना ही है क्योंकि अरस्तू के समय से ही 'तुलनात्मकता' आलोचनात्मक व्यवहार का एक आवर्तक आयाम रहा है। चाहे एक भाषा में लिखित साहित्य का अध्ययन हो अथवा एक से अधिक भाषाओं में लिखित तुलनात्मक साहित्य का अध्ययन हो, दोनों ही स्थितियों में अध्ययन का केन्द्रीय विषय साहित्य ही है और इसीलिए तुलनात्मक साहित्य को किसी एक भाषा में लिखित साहित्य के अध्ययन से अलग नहीं किया जा सकता। यह सच है कि कोई भी आलोचक किसी भी लेखक की कृति में निहित विशिष्ट प्रवृत्ति को उभारने के लिए अनायास ही एवं स्वचालित रूप में अन्य किसी तुलनीय कृति के साथ उसकी तुलना करता है मगर तुलनात्मक आलोचक के लिए यह काम सचेतन रूप से होता है। वह तुलनात्मक पद्धति का प्रयोग करता हुआ कृतियों में निहित उनकी विशिष्टताओं को प्रकाश में लाता है।
प्रो. (डॉ.) पी. जी. शशिकला जन्म : 19 मई, 1967 जन्म स्थान : कोल्लम पति का नाम : साबू. डी पद : विभागाध्यक्ष हिन्दी विभाग श्रीनारायण कॉलेज, कोल्लम शैक्षिक योग्यता : एम. ए., बी. एड., एम.फिल., पीएच.डी. (हिन्दी) । शिक्षण अनुभव : श्री नारायण कॉलेजों में 27 साल, गवर्नमेंट कॉलेज मोकेरी में 1 वर्ष, तिरुवल्ला में आई. एस. सी. स्कूल में 5 साल । एम.ए. हिन्दी भाषा और साहित्य के अध्ययन बोर्ड की सदस्य । केरल विश्वविद्यालय 2005 से आगे । 3 पुस्तकें और 17 लेख प्रकाशित । सम्पर्क: पुलियत्तु वीडु, मय्यनाड पी.ओ., कोल्लम-691308 मो.: 9746377111 ईमेल : drsasikalasabu@gmail.com
सम्पादक : प्रो. (डॉ.) पी .जी .शशिकलाAdd a review
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