अशोक वाजपेयी ऐसे ही लेखक हैं जिन्होंने स्वयम को हिंदी भाषा की संस्कृति से एकाकार किया हुआ है। इस पुस्तक में प्रकाशित उनसे लंबा संवाद हिंदी भाषा और और संस्कृति पर किया गया है। इस पुस्तक के दूसरे भाग में अशोक वाजपेयी के कृतित्व पर कुछ निबन्ध हैं, उनमें से एक संस्मरण है।
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