Hindi Sahitya Ki Aadhi Aabadi : Poora Itihas

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डॉ. शुभा श्रीवास्तव साहित्य की गम्भीर अध्येता एवं सुधी समीक्षक के रूप में एक चर्चित नाम है। वर्तमान समय में कोई भी पत्रिका ऐसी नहीं है जिनमें स्त्री रचनाकारों पर इनका आलोचनात्मक लेख देखने को नहीं मिलता है। ‘हिन्दी साहित्य की आधी आबादी पूरा इतिहास’ पुस्तक, इतिहास पुस्तक की नीरसता के पूर्वाग्रहों को तोड़ती है। इसमें इतिहास के ऐसे औज़ार मिलेंगे जो स्त्री साहित्य के इतिहास को बोझिल नहीं बनाते हैं बल्कि स्त्री साहित्य के इतिहास को नये साँचे में ढालते हैं। यहाँ पर इतिहास का ब्यौरा नहीं है बल्कि स्त्री साहित्य के इतिहास पर नवीन विचारधारा, नवीन शोध, तथ्यपरक सामग्री शामिल है जो रोचक व ज्ञानवर्धक है। हिन्दी साहित्य में स्त्री साहित्य की उपेक्षा कोई नयी बात नहीं है परन्तु इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि इस दिशा में कुछ कार्य ही नहीं हुआ है परन्तु ये कार्य पूर्ण नहीं कहे जा सकते हैं। कुछ बिखरे कार्यों और कुछ अछूते कार्यों का समन्वित रूप यह पुस्तक है। ‘हिन्दी साहित्य की आधी आबादी पूरा इतिहास’ पुस्तक स्त्री लेखन को लेकर लिखी गयी स्त्री साहित्य के इतिहास की प्रथम कृति तो नहीं है परन्तु पूर्ण कृति अवश्य है। लेखिका ने इसे आधी आबादी का पूरा इतिहास कहा है जिससे यह सिद्ध होता है कि इसमें हिन्दी साहित्य के स्त्री इतिहास का मुकम्मल और सम्पूर्ण दस्तावेज़ उपलब्ध है। इस कृति में जहाँ आदिकालीन स्त्री साहित्य के प्रश्नों की टकराहट है वहीं मध्यकाल में स्त्री साहित्य को कमतर मानने की जो ग़लती इतिहास आज तक करता चला आया है इसका सटीक जवाब है। \n\nशुभा ऐसी इतिहासकार बनकर उपस्थित होती हैं जिसके माध्यम से मध्यकाल की स्त्री रचनाकार अपनी रचनाओं के माध्यम से अपने सारे वैशिष्ट्य को बार-बार पाठक के समक्ष उपस्थित करती हैं जिसे इतिहास आज तक नकारता चला आया है। आधुनिक काल की समय सीमा अत्यन्त विस्तृत है परन्तु इस विस्तृत सीमा को तीन काल खण्डों में बाँटकर उसकी प्रवृत्तियों, विभिन्न रचनाकारों के वैशिष्ट्य को बख़ूबी निरूपित किया गया है। यह पुस्तक आधी आबादी का पूरा इतिहास इसलिए भी है क्योंकि इसमें समकालीन स्त्री रचनाकारों को भी पूरी गम्भीरता के साथ शामिल किया गया है। स्त्री साहित्य नयी कोपल में सन् 2000 से लेकर आज तक के स्त्री रचनाकारों के सन्दर्भ में चर्चा करना इसकी सम्पूर्णता का परिचायक है। हिन्दी साहित्य का बहुत सारा स्त्री साहित्य लोकगीतों में भी फैला हुआ है। लोकगीतों के माध्यम से स्त्री लेखन को पाठक के सम्मुख आना अपने आप में अनूठा कार्य है, साथ ही स्त्री साहित्य की सम्पूर्णता का परिचायक भी है। इतिहास लेखन के विस्तृत गाँव में शुभा का प्रवेश सुखद बयार के साथ गहरी आश्वस्ति भी देता है। पुस्तक का प्रकाशन स्त्री साहित्य को पूर्णता प्रदान करेगा इसकी आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास भी है।

<p>शुभा श्रीवास्तव : &lsquo;आजकल&rsquo;, &lsquo;मधुमती&#39;, &#39;उत्तर प्रदेश पत्रिका&#39;, &#39;परिन्दे&rsquo;, &#39;सोच विचार&#39;, &#39;अभिनव मीमांसा&#39;, &#39;लमही&#39;, &#39;कथादेश&#39;, &lsquo;वर्तमान साहित्य&rsquo;, &lsquo;नागरी पत्रिका&#39;, &#39;दैनिक जागरण&#39;, &lsquo;अमर उजाला&rsquo;, &lsquo;हिन्दुस्तान&#39;, &#39;जनसन्देश टाइम्स&#39; जैसे राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कविता, कहानी प्रकाशित। &#39;हस्ताक्षर&#39; पत्रिका में आधी आबादी पूरा इतिहास नामक स्थायी कॉलम का लेखन। &#39;दूरदर्शन आकाशवाणी&#39; पर काव्य-पाठ, साहित्यिक गोष्ठी में सहभागिता। प्रेमचन्द्र पथ पत्रिका का फणीश्वर नाथ रेणु, शकुन्त माथुर चन्द्रकिरण सौनरेक्सा, अमृतराय, प्रेमाश्रम, सावित्री सिन्हा और शची रानी गुर्टू जन्मशताब्दी विशेषांक का सम्पादन। उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा 6, 7, 8 की हिन्दी की पुस्तकों के सम्पादन मण्डल में सम्मानित सदस्य।&nbsp;<br /> &lt;br&gt;&lt;br&gt;<br /> प्रमुख रचनाएँ : &lsquo;असाध्य वीणा : एक मूल्यांकन&rsquo;, &lsquo;उषा प्रियंवदा का कथा साहित्य : वस्तु एवं शिल्प&rsquo;, &lsquo;पुस्तक संसृति&rsquo;, &lsquo;छायावाद संस्मृति एवं पुनःपाठ, साहित्य के युगीन हस्ताक्षर (आलोचना)&rsquo;; &lsquo;हिन्दी शिक्षण&rsquo; (डी.एल.एड. के पाठ्यक्रम पर आधारित पुस्तक), &lsquo;सौ साल बाद छायावाद&rsquo; (प्रकाशन विभाग दिल्ली से प्रकाशित पुस्तक में लेख सम्मिलित); &lsquo;प्रारब्ध&rsquo; (कविता-संग्रह); &lsquo;नव काव्यांजलि&rsquo; (साझा कविता-संग्रह), &lsquo;पाठक की लाठी&rsquo; (साझा कहानी-संग्रह), &lsquo;शेष अशेष&rsquo; (कहानी-संग्रह); एक काव्य-संग्रह प्रकाशनाधीन। पुरस्कार : &lsquo;माँ धनपति देवी स्मृति तथा सम्मान&#39;, लोक चेतना संस्था द्वारा प्रदत जवन का &#39;मंगल सम्मान&#39;, कायस्थ कल्याण समिति द्वारा &#39;चित्रगुप्त सम्मान&#39; लघु नाटक के क्षेत्र में, प्रेमचन्द मार्गदर्शन केन्द्र द्वारा &#39;प्रेमचन्द पथ सम्मान&#39;, सुबह-ए-बनारस द्वारा &#39;काव्य मंजरी सम्मान&#39;, सेंट सैंट क्लारेट कॉलेज द्वारा &#39;विशिष्ट सम्मान&#39;, हिन्दी भाषा डॉट कॉम द्वारा &#39;विशिष्ट भाषा नागरिक सम्मान&#39;, बुद्धिजीवी घुमक्कड़ मंच द्वारा &lsquo;काशी गौरव अलंकरण सम्मान&#39;। सम्प्रति : राजकीय क्वींस कॉलेज, वाराणसी में प्रवक्ता।</p>

Shubha Srivastava

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