"राग, विराग और अन्य स्वर" - सुशोभित प्रख्यात लेखक सुशोभित की चुनी हुई कविताओं का यह प्रतिनिधि संकलन, उनकी काव्य-यात्रा का एक सारगर्भित दस्तावेज़ है। उनके चारों कविता संग्रहों— 'मैं बनूँगा गुलमोहर', 'दुःख की दैनंदिनी', 'मलयगिरि का प्रेत' और 'धूप का पंख' — से सर्वश्रेष्ठ कविताओं का चयन कर यह पुस्तक तैयार की गई है। यह संकलन तीन भाव-स्वरों में विभाजित है— राग, विराग और अन्य स्वर। जहां प्रेम की कोमल अनुभूतियाँ हैं, वहीं विषाद की गहराइयाँ भी। शब्दों के इस अनमोल संग्रह में कवि का सौंदर्यबोध और संवेदनशीलता पाठकों को एक नया अनुभव देंगे। यदि आप गद्यकार सुशोभित की कविताओं से अब तक अनजान रहे हैं, तो यह संकलन आपके लिए एक दुर्लभ अवसर है— एक विस्मृत कवि को पुनः खोजने का।
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