एक ही पुस्तक में तीन लघु उपन्यास \nजलावतन-तन के थोड़े-से बरसों में, मन की अन्तर-सतह में उतर जाने की वह कहानी है, जो जलते बुझते अक्षरों में लिपटी हुई है - \nजेबकतरे- यह एक उदास नस्ल की वह कहानी है, जिसमें किरदारों के पैर जिन्दा हैं, पैरों के लिए रास्ते मर गए हैं - \nकच्ची सड़क- उठती जवानी में किस तरह एक कम्पन किसी के अहसास में उतर जाता है कि पैरों तले से विश्वास की ज़मीन खो जाती है- यही बहक गए बरसों के धागे इस कहानी में लिपटते भी हैं, मन-बदन की सालते भी हैं, और हाथ की पकड़ में आते भी हैं - \nये तीनों लघु उपन्यास उन किरदारों को लिए हुए हैं, जो उठती जवानी में चिन्तन की यात्रा में चल दिए हैं। और इन तीनों का इकट्ठा प्रकाशन समय और समाज का एक अध्ययन होगा।
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Amrita PritamAdd a review
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