Jarfran Singh

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कहानी-संग्रह जाफ़रान सिंह की कहानियों के केन्द्र में है-मानव-जीवन । मानव-जीवन की सांस्कृतिक, सामाजिक, वैयक्तिक एवं अन्य बहुतेरी स्थितियों-परिस्थितियों को घटनाओं, पात्रों एवं क़िस्सागोई के विविध स्वरूपों के माध्यम से आपके समक्ष रखा गया है। प्रायः कहानियाँ छोटी-छोटी ही हैं जिनमें कम-से-कम में अधिक-से-अधिक बयान करने की कोशिश की गयी है, जो आपके मन-हृदय पर दस्तक दे सके और मस्तिष्क को विचरण करने के नये सूत्र । कहानी-संग्रह की सफलता अब सुधी पाठकगण ही तय करेंगे।\n\n܀܀܀\n\nजाफ़रान सिंह को नौकरी बड़ी उम्र में मिली थी। दिल्ली, कलकत्ता भटकने के बाद उसके एक दूर के रिश्तेदार जो मेरे भाईसाहब के मित्र थे उन्होंने उसकी सिफ़ारिश की थी, तब भाईसाहब ने उसे रखा था। हालाँकि ये नौकरी उसकी पक्की थी, पर भाईसाहब के विभाग में पेंशन नहीं थी । जाफ़रान इस समय भी पचास के आस-पास का था। उसे अपनी उम्र और ज़िन्दगी दोनों की भरपूर चिन्ता रहती थी-एक की बढ़ने की और दूसरी के घटने की। वो अक्सर मुझसे कहता-शाब मेरा क्या होगा? मैं कितने दिन चलूँगा? ज़िम्मेदारियाँ पूरी कर भी पाऊँगा या नहीं? और मैं उसे समझाता, फ़िकर मत करो जाफ़रान सिंह, सब ठीक होगा ।\n\n-पुस्तक का एक अंश

मनोज कुमार पाण्डेय - प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष के रूप में हिन्दी विभाग, कालीचरण पी जी कॉलेज, लखनऊ (लखनऊ विश्वविद्यालय) में कार्यरत । उपलब्धियाँ : बाईस वर्षों से उच्च शिक्षण संस्थानों में स्थायी रूप से अध्यापनरत, एक पुस्तक, यू.जी.सी. केयर लिस्टेड और पियर्ड रिव्यूड पत्रिकाओं में शोध-आलेख प्रकाशित । अन्तरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय संगोष्ठियों में सहभागिता के साथ शोध-पत्र वाचन । विभिन्न मंचों पर अध्यक्ष एवं विशिष्ट विद्वान अतिथि के रूप में सहभागिता । सम्पर्क सूत्र : आवास-मातायन, 4/1041ए, सेक्टर 4, विकास नगर, लखनऊ-226022 मो. : 9450365920 ई-मेल : manojkpandeyji@gmail.com

मनोज कुमार पाण्डेय

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