Junction

  • Format:

जंक्शन - चन्दन पाण्डेय मेरे प्रिय समकालीन कथाकार हैं। 'भूलना' और 'इश्क़फ़रेब' के बाद यह उनका तीसरा कहानी-संग्रह है। चन्दन के यहाँ, उनके बाक़ी समकालीनों (इसमें मेरी भी शमूलियत हैं) के विपरीत विषय की विविधता है और विषय के अनुरूप विविध रेंज भी। यह कुछ ऐसा, मानो किसी कहानी को उन्होंने फ़र्स्ट गियर में लिखा, तो किसी को फ़ोर्थ गियर में। मेरे कहने का आशय यह कि चन्दन की प्रत्येक कहानी चन्दन को बतौर कहानीकार थोड़ा 'नया' करती चलती है। इस संग्रह की कई कहानियाँ आपको चौंकायेंगी। अपने नयेपन से नहीं— लेखक ने वस्तु के स्तर पर कुछ नहीं कह दिया, बल्कि इसलिए कि लेखक ने आपके देखे-सुने व बिसरा दिये गये यथार्थ को पुनः नये ढंग से देखा व दिखाया। 'ज़मीन अपनी तो थी', 'मित्र की उदासी', 'जंक्शन' ऐसी ही कहानियाँ हैं। 'कवि' बहुत गूढ़ कहानी है जिसमें संगुम्फित सचाई व द्वन्द्व से हम पढ़ाई-लिखाई करने वाले बारहाँ दो-चार-छः होते हैं। पठनीयता इन कहानियों की सबसे बड़ी विशिष्टता है। लेखक गम्भीर बात तरल ज़ुबान (इसे 'शीरींज़ुबान' न पढ़ें) से कह जाता है। अपने समकाल का सच रचता यह संग्रह नितान्त संग्रहणीय है।—कुणाल सिंह

चन्दन पाण्डेय - 9 अगस्त, 1982 को देवरिया ज़िले के थाना लार, गाँव पटखौली में जन्म। शहर-दर-शहर की शिक्षा और उसी अन्दाज़ की नौकरी। कहानियों की कुल दो किताबें प्रकाशित। कृतियाँ: 'भूलना' (भारतीय ज्ञानपीठ) और 'इश्क़फ़रेब' (पेंगुईन)। पुरस्कार: कृष्ण बलदेव वैद फ़ेलोशिप (2006) भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार (2007) और शैलेश मटियानी स्मृति सम्मान, चित्रा कुमार कथा पुरस्कार (2008)। नयी बात (www.nayibaat.blogspot.in) नामक ब्लॉग का सम्पादन और समसामयिक विषयों पर नियमित लेखन।

चंदन पांडेय

Customer questions & answers

Add a review

Login to write a review.

Related products

Subscribe to Padhega India Newsletter!

Step into a world of stories, offers, and exclusive book buzz- right in your inbox! ✨

Subscribe to our newsletter today and never miss out on the magic of books, special deals, and insider updates. Let’s keep your reading journey inspired! 🌟