अब देखिए, बड़ों की दुनिया की रोज़मर्रा की ऐसी ख़ासी आवश्यक बातों का ज़िक्र तक हमें अपने स्कूली जीवन में कहाँ सुनने को मिलता है? स्कूल में हमें ये सब कहाँ सिखाया जाता है, जबकि इनके कारण ही बड़ी-बड़ी सफलताओं के जो किस्से गढ़े जाते हैं वो हमारी पहुँच से बाहर की बात लगते हैं; ऐसे में हम खुद को ही डंब समझने लगते हैं। लेकिन हम डंब नहीं, बस हमें पता नहीं कि यह सब करना कैसे है।\n\nआपका जो स्कूल है वह यह तो सिखाता है कि दौड़ना कैसे है; लेकिन जीतना कैसे है, यह नहीं सिखाता। और यही काम है इस किताब का : दौड़ जीतने में आपकी मदद करने का। राज शमानी के ख़ुद के ही एक बेहद सफल आंत्रप्रेन्योर और कॉन्टेंट क्रिएटर बनने की यात्रा से प्रेरित उपयोगी और कारगर ढेरों एडवाइज़ हैं इसमें, जो बनाती हैं इस किताब को मस्ट-रीड!
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