काठ का सपना - मुक्तिबोध के जीवन के अन्तिम समय तक उनके द्वारा लिखी गयी कुछेक श्रेष्ठ कहानियों का संग्रह है 'काठ का सपना'। अभिव्यक्ति के माध्यम के नाते जहाँ कविता हारी वहाँ मुक्तिबोध ने डायरी विधा पकड़ी और जब यह पूरी न पड़ी तब कहानी को अपनाया। मुक्तिबोध का सारा साहित्य वस्तुतः एक अभिशप्त जीवन जीनेवाले अत्यन्त संवेदनशील सामाजिक व्यक्ति का चिन्तन-विवेचन है; और यह भी कहीं निराले में या किसी अन्य के साथ बैठकर नहीं, अपने पीड़ा-संघर्षों-भरे परिवेश में रहते और अपने से ऊपर उठकर स्वयं अपने से जूझते हुए किया गया है। उनकी ये कहानियाँ इसी बात को रेखांकित करती हैं।
गजानन माधव मुक्तिबोध - जन्म: 13 नवम्बर, 1917, श्योपुर (ग्वालियर)। शिक्षा: नागपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी में स्नातकोत्तर । एक प्राध्यापक के रूप में उज्जैन, शुजालपुर, इन्दौर, कलकत्ता, मुम्बई, बेंगलुरु, वाराणसी, जबलपुर, नागपुर में थोड़े-थोड़े अरसे रहे। अन्ततः 1958 में दिग्विजय महाविद्यालय, राजनांदगाँव में। भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित कृतियाँ: 'चाँद का मुँह टेढ़ा है', 'एक साहित्यिक की डायरी', 'काठ का सपना', 'विपात्र' और 'सतह से उठता आदमी' । अन्य प्रकाशन: 'कामायनी : एक पुनर्विचार', 'भारतीय इतिहास और संस्कृति', 'नयी कविता का आत्म-संघर्ष तथा अन्य निबन्ध', 'नये साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र' । निधन: 11 सितम्बर, 1964, नयी दिल्ली।
गजानन माधव मुक्तिबोधAdd a review
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