‘काँपती सतह पर’ मदन सोनी के लेखनी के चुने अंशों का संचयन है। मदन सोनी ने शुरू से ही हिन्दी आलोचना में रूढ़ हो गये कई द्वैतों जैसे सामाजिकता और निजता, प्रतिबद्धता और स्वायत्तता आदि से दूर रह कर कृतियों के सघन पाठ और उनमें अनिवार्य रूप से मौजूद अन्तर्ध्वनियों के विश्लेषण को लक्ष्य बनाया।
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