भारत का लौह युग... लगभग 900 ई.पू. गंगा की गोद में जन्मे वासु अंगा के उग्र प्ांत में पले-बढे। उनके जीवन को एक ऐसे भाग्य ने आकार ददया जो न्यायसंगत नह ं हो सका - उनके अपने द्वारा उपेक्षित, उनके जन्मससद्ध अधधकार को छीन सलया गया - उनका पालन-पोषण इच्छाओं और ननराशा की खाई में खो जाने के सलए ककया गया था। अपने गुरु द्वारा शापपत, एकमात्र मदहला से आहत जजसे वह प्यार करता था, सूत का पुत्र होने के कारण समाज से बदहष्कृत कर ददया गया। अपने एकमात्र कवच - आशा - के साथ वह एक अपवस्मरणीय यात्रा पर ननकल पडा। अकेला। यह वासु की जीपवत रहने, सहनशजतत, सभी प्नतकूलताओं के सामने स्थायी साहस की कहानी है। और अंततः, सवकव ासलक महान योद्धा के रूप में पवकससत हुआ… कणव। अपने कट्टर शत्रु- कपट , बेईमान और सववशजततमान, जरासंध के खखलाफ एक अंनतम लडाई में, एक उपाधध के सलए जजसे वह जानता था कक वह उसका हकदार था। एक सूतपुत्र से लेकर जनता के नते ा तक, यह पवश्वासघात, खोए हुए प्यार और गौरव की गाथा है। यह कहानी है अंग देश के राजा की
Kevin Missal wrote his first book at the age of 14, and at 22, the St Stephens graduate was a bestselling author with the first two books in his Kalki series which were runaway successes. Kevin loves fantasy fiction and has always been a fan of mythology. His books have been featured in publications like the Sunday Guardian, The New Indian Express and Millennium Post.
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