लेखिका ज्योति चावला की यह पुस्तक 'कथा-अंतर्कथा-अंतर्पाठ' अपने समय की कुछ महत्त्वपूर्ण कथाओं को इक्कीसवीं सदी में खड़े होकर इन पाठों को देखने की कोशिश है और दूसरा एक लेखिका के द्वारा इन कथाओं को समझते हुए इनका अंतर्पाठ है।
Add a review
Login to write a review.
Customer questions & answers