कविता की समकालीन संस्कृति - \nबीती शताब्दी के अन्तिम दशक में दर्जनाधिक कवियों ने अपनी पहचान न सिर्फ़ कायम की बल्कि सदी को सरहद पर भोर की आहट दे रहे 21वीं सदी के युवा कवियों का मार्गदर्शन भी किया। नरेश सक्सेना, ज्ञानेन्द्रपति, राजेश जोशी, मंगलेश डबराल, विजेन्द्र, अरुण कमल, ऋतुराज, चन्द्रकान्त देवताले, वेणुगोपाल, हरिश्चन्द्र पाण्डेय, मदन कश्यप, लीलाधर मंडलोई, कात्यायनी, रंजना जायसवाल, पवन करण, सुरेशसेन निशान्त, केशव तिवारी, योगेन्द्र कृष्णा और सन्तोष चतुर्वेदी जैसे प्रगतिशील चेतना के गायकों ने नागार्जुन, धूमिल और कुमार विकल के बाद उत्पन्न गैप को भरने की महत्त्वपूर्ण कोशिश की। पिछले 50 वर्षों की हिन्दी कविता कोई मुक्तिबोध, नागार्जुन या धूमिल न दे पाने के बावजूद सृजन के उर्जस्वित उत्थान की उम्मीद जगाती है। राजेश जोशी के समानान्तर कवियों में नरेश सक्सेना जी एक ऐसे कवि हैं जिन्होंने अपनी सृजन यात्रा में तमाम धूप-छाँही उतार-चढ़ाव के बावजूद अपने आपको नयेपन की ताज़गी के साथ जिलाये रखा। उबड़-खाबड़ मैदान की तरह सामने खड़ी है 21वीं सदी, जो वरिष्ठतम, वरिष्ठ, युवा और नव कवियों को एक साथ लेकर आगे बढ़ रही है। इसमें कुँवर नारायण और केदारनाथ सिंह जैसे तार सप्तकी हस्ताक्षर हैं, तो नरेश सक्सेना जैसे धूमिल के समकालीन व्यक्तित्व भी। 'कविता की समकालीन संस्कृति' पुस्तक समय के हस्ताक्षरों से बुनी हुई। साहित्य के पौधों, गायकों और सिपाहियों को समर्पित है। इस उम्मीद के साथ कि साहित्य का पाठक आत्यन्तिक निरपेक्षता के साथ इस पुस्तक का मूल्यांकन करेगा।
भरत प्रसाद - जन्म: 25 जनवरी, 1970, सन्त कबीर नगर (उ.प्र.) शिक्षा: एम.ए., एम.फिल. और पीएच.डी. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली से। प्रकाशित कृतियाँ: कहानी संग्रह—'और फिर एक दिन' (पुरस्कृत), 'चौबीस किलो का भूत'। लेख संग्रह—'देसी पहाड़ परदेसी लोग' (पुरस्कृत), 'सृजन की इक्कीसवीं सदी', 'बीच बाज़ार में साहित्य। कविता संग्रह—'एक पेड़ की आत्मकथा', 'बूँद-बूँद रोती नदी'; आलोचना—'नयी क़लम इतिहास रचने की चुनौती', 'बीहड़ चेतना का पथिक मुक्तिबोध'; 'विचार-कहना ज़रूरी है'। साहित्य की लगभग सभी महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं में लेखों, कहानियों और कविताओं का निरन्तर प्रकाशन। 'जनपथ' पत्रिका के युवा कविता विशेषांक 'सदी के शब्द प्रमाण' का सम्पादन। 'परिकथा' पत्रिका के लिए 'ताना-बाना' शीर्षक से स्तम्भ लेखन (2008 2012) और 'लोकोदय' पत्रिका के लिए 'गहरे पानी पैठी' शीर्षक से स्तम्भ लेखन। रचना-अनुवाद: कविताओं का अंग्रेज़ी एवं बांगला भाषाओं में अनुवाद। पुरस्कार/सम्मान: सृजन सम्मान 2005, अम्बिका प्रसाद दिव्य रजत अलंकरण-2008, युवा शिखर सम्मान-2011, मलखान सिंह सिसौदिया कविता पुरस्कार-2014, पूर्वोत्तर साहित्य परिषद् पुरस्कार।
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