Kisne Unka Deep Jalaya

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किसने उनका दीप जलाया - \n'किसने उनका दीप जलाया' संग्रह की कविताएँ हृदय को आन्दोलित करने वाली रसासिक्त मार्मिक मन्थन हैं। सभी कविताएँ अपनी शाब्दिक कमनीयता से पाठकों को प्रणय, करुणा, पीड़ा, प्रतिशोध आदि मनोभावों के साथ-साथ प्रकृति के रंग भरे रम्य उद्यानों से लेकर उसकी विद्रूपता भरी विभीषिकाओं का दर्शन ही नहीं कराती बल्कि अपनी व्यंजनाओं व रूपकों के माध्यम से जीवन की जीवन्तता का सकारात्मक सन्देश भी देती हैं। \nयह कवयित्री की कोमल कल्पनाओं का वह नीड़ है, जहाँ उसके स्वप्न पलते हैं। सृष्टि को सुन्दरतम् अवस्था में देखने का स्वप्न उसे सोने नहीं देता और उसे काव्य सृजन की ओर प्रेरित करता है। ऐसा लगता है कि इन नीड़ों से कवयित्री का गहरा नाता है।\nपुस्तक गीतिकाव्य का सुन्दरतम रूप है और पाठकों को इन कविताओं में आँचलिकता के साथ प्रकृति के समीप होने का भी अहसास लगातार होता है।

जयप्रभा यादव - जन्मस्थान: घाटमपुर खुर्द, बीघापुर, उन्नाव (उ.प्र.)। शैक्षिक योग्यता: एम.ए. अंग्रेज़ी साहित्य, संस्कृत साहित्य, प्राचीन भारतीय इतिहास। विगत वर्षों से शिक्षण कार्य में कार्यरत और दो दशकों से साहित्यिक गोष्ठियों व मंचो पर सक्रिय सहभागिता तथा अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन : साझा काव्य संग्रह, तिनका तिनका आशियाँ और जय सुभाष नामक खण्डकाव्य है।

जयप्रभा यादव

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