कोरोना काल में अचार डालता कवि - \nरामस्वरूप दीक्षित युगचेतना के कवि हैं। उनकी कविताएँ ऐसे बेचैन कवि की कविताएँ हैं, जो अपनी बेचैनी को पाठकों के साथ साझा करते हुए उन्हें अपने साथ उस स्थान पर ले जाती है, जहाँ बदलाव की रोशनी को आते हुए साफ़-साफ़ देखा जा सकता है। समकालीन समाज में मनुष्य को मनुष्य की तरह जीने की गुँजाइश न के बराबर रह गयी है। कवि इस स्थिति से भीतर तक विचलित और आहत है। वह सुनियोजित साजिश के तहत आम आदमी को गिरफ़्त में लेने के लिए चुने जा रहे पूँजी के जाल को न केवल समझता है, वरन् उसे काटने को भी प्रेरित करता है। इस संग्रह की कविताओं से गुज़रते हुए आप पायेंगे कि इन्हें पढ़ने के बाद आप वह नहीं रह जाते जो पहले थे, बल्कि एक परिवर्तनकामी मनःस्थिति में पहुँच जाते हैं और ख़ुद को मनुष्यता के पक्ष में खड़ा पाते हैं। इन कविताओं की भाषा बेहद सहज और बोलचाल की होते हुए भी अपने में एक अलहदा क़िस्म की कथन भंगिमा लिए हुए है जो इन्हें न केवल पठनीय और ग्राह्य बनाती है बल्कि हमें अपने साथ कवि के भाव और विचारलोक में ले जाकर खड़ी कर देती है। मौजूदा वक़्त की सुनियोजित चालाकियों और साजिशों को बेनकाब करती ये कविताएँ हर उस आदमी का इक़बालिया बयान हैं जो पीड़ित, शोषित मानवता के पक्ष में तनकर खड़ा है। जीवन का नया मुहावरा गढ़ती ये कविताएँ हमारे आसपास से चलकर हमारे पास आकर हमसे बतियाने लगती हैं और हमें अपने साथ चलने को मजबूर कर देती हैं। इन्हें पढ़ना अपने समय और समाज की कड़वी सच्चाई से बावस्ता होना है। ख़ुद को और अधिक मनुष्य बनाये रखने के लिए इन्हें पढ़ना जीवन की ज़रूरत है। निश्चित ही यह संग्रह पढ़ा जाना चाहिए
रामस्वरूप दीक्षित - जन्म: 1 अगस्त, 1957। शिक्षा: रीवा विश्वविद्यालय से कला स्नातक। प्रकाशन: दर्जन भर साझा संकलनों सहित धर्मयुग, सारिका, हंस, कथादेश, साक्षात्कार, कथन, वसुधा, कादंबिनी, नवनीत, साहित्य अमृत, आजकल, उत्तर प्रदेश, व्यंग्य यात्रा, अट्टहास, अक्षरा, लफ़्ज़, विदूषक, अक्षर पर्व सहित सभी प्रमुख पत्रिकाओं एवं दैनिक हिन्दुस्तान, नवभारत टाइम्स, जनसत्ता, राष्ट्रीय सहारा, पंजाब केसरी, दैनिक भास्कर, अमर उजाला, नई दुनिया, राजस्थान पत्रिका, दैनिक जागरण, भात ख़बर, देशबंधु, सहित सभी प्रमुख पत्रों में रचनाएँ प्रकाशित एवं कई फ़ीचर सेवाओं से रचनाएँ प्रसारित। विशेष उल्लेखनीय: पूर्व कार्यकारिणी सदस्य म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन भोपाल। इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्र् के लिए श्री नारायण दत्त के सम्पादन में दो खण्डों में प्रकाशित विशेष सन्दर्भ ग्रन्थ 'बनारसीदास चतुर्वेदी के चुनिन्दा पत्र' में सम्पादन सहयोग। प्रकाशित कृति: कड़ाही में जाने को आतुर जलेबियाँ (व्यंग्य-संग्रह) इंडिया नेटबुक्स, नोएडा। प्रसारण: विभिन्न आकाशवाणी केन्द्रों एवं दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण। अनुवाद: कुछ रचनाकारों के पंजाबी, कन्नड़ व बुन्देली मराठी व अंग्रेज़ी में अनुवाद। सम्मान: विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा दर्जन भर से ज़्यादा सम्मानों के साथ ज्ञानमुद्रा साहित्य सेवा सम्मान 2021 से सम्मानित।
रामस्वरूप दीक्षितAdd a review
Login to write a review.
Customer questions & answers