"कृष्ण वासुदेव - कृष्ण स्वयं पूर्णावतार थे और गीता सारे दर्शनों से परे अलग चमकती है— मानव जीवन के दर्शन और मनोविज्ञान के लिए एक रोशनी बन कर । परन्तु ईश्वर कृष्ण को मानव शरीर ने सीमित कर दिया था और मानव कृष्ण स्वयं को उठा कर ईश्वर हो गया था। कृष्ण का यह सपना पूरी मानव जाति और हर मनुष्य के लिए था ज़रूर पर हम उससे कोसों दूर हैं। इस पुस्तक में क़लम लेखक की है पर शब्द कृष्ण के... एक बार फिर कृष्ण आवाहन कर रहे हैं, अपनी जीवनी एक नये रूप में बता कर । अपने जीवन के संघर्ष और अपने कार्यों के पीछे अपनी गहरी सोच का अनावरण करके । यदि हम सुन सके तो । "
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