क्षण बोले कण मुसकाये - 'प्रभाकर' जी की कृतियों में उनकी चिन्तन-प्रक्रिया और लेखन-शैली के कारण साहित्य और पत्रकारिता का अनुपम संगम है। उनके रिपोर्ताज़ तो और भी अधिक अन्तर्दर्शी और मर्मस्पर्शी होते हैं। प्रस्तुत पुस्तक 'क्षण बोले कण मुसकाये' में ऐसे ही पच्चीस रिपोर्ताज़ हैं जिनमें हम विगत वर्षों में घटित कुछेक घटनाओं के आधार पर राष्ट्र एवं लोक-जीवन की झाँकी पूरे आनन्द एवं तल्लीनता के साथ देख सकते हैं।
कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' - जन्म: 29 मई, 1906; निधन: 9 मई, 1995। हिन्दी के यशस्वी गद्य-लेखक, शैलीकार एवं पत्रकार स्व. 'प्रभाकर' जी की भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित बहुचर्चित कृतियाँ हैं—ज़िन्दगी मुसकरायी, माटी हो गयी सोना, आकाश के तारे धरती के फूल, क्षण बोले कण मुसकाये, महके आँगन चहके द्वार, दीप जले शंख बजे, ज़िन्दगी लहलहायी, बाजे पायलिया के घुँघरू, कारवाँ आगे बढ़े।
कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकरAdd a review
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