Kuchh Khojte Hue

  • Format:

यह कहना या ठीक-ठीक बता पाना कठिन है कि इस ज़िन्दगी भर से चली आ रही खोज का लक्ष्य क्या है? बिना लक्ष्य के या किसी प्राप्ति की आशा के खोज क्यों नहीं की जा सकती? अगर यह सम्भव है, भले कुछ अतर्कित है तो इन पृष्ठों में जो कुछ खोजा जाता रहा है इसका कुछ औचित्य बनता है। खोजने की प्रक्रिया में कुछ सच, कुछ सपने, कुछ रहस्य, कुछ जिज्ञासाएँ, कुछ उम्मीदें, कुछ विफलताएँ सब गुँथे हुए-से हैं। शायद कोई भी लेखक कुछ पाने के लिए नहीं खोजता : कई बार अकस्मात् अप्रत्याशित रूप से उसके हाथ कुछ लग जाता है। कई बार वह कुछ, इससे पहले कि लेखक को इसका सजग बोध हो या कि वह उसे विन्यस्त कर पाये वह फिसल भी जाता है और कई बार ऐसे गायब हो जाता है कि दुबारा फिर खोजे नहीं मिलता। एक साप्ताहिक स्तम्भ के बहाने अपनी ऐसी ही बेढब खोज को दर्ज़ करता रहा हूँ। इसमें संस्मरण, यात्रा-वृत्तान्त, पुस्तक और कला समीक्षा, इधर-उधर हुए संवाद और मिल गये व्यक्तियों से बातचीत आदि सभी संक्षेप में शामिल हैं। मुझ जैसे बातूनी व्यक्ति को, 'जनसत्ता' में पिछले तेरह वर्षों से, बिला नागा, अबाध रूप से 'कभी कभार' स्तम्भ लिखते हुए यह अहसास हुआ कि संक्षेप लेखन का बेहद वांछनीय पक्ष है। जो संक्षेप में कुछ पते की बात नहीं कर सकता वह विस्तार में ऐसा कर पायेगा इसमें अब कुछ सन्देह होने लगा है। ऐसे पाठक या हितैषी मिलते हैं जिनकी शिकायत कई बार यह होती है कि विस्तार से लिखना चाहिए था। यह उन 'चाहियों' में से एक है जो मुझसे नहीं सधे । जैसे लिखना तो मुझे था डायरी, जो अब जब-जैसी याद आती है इसी स्तम्भ में लिख देता हूँ: डायरी नहीं लिख पाया । (भूमिका से)

तादेऊष रूजेविच (कवि, गद्यकार, नाटककार और निबंधकार) जन्म: 9 अक्टूबर, 1925 प्रमुख काव्य-कृतियाँ: अशान्ति, लाल दस्ताना, कविताएँ और चित्र, रुपहली बालियाँ, एक राजकुमार से बातचीत, हरा गुलाब, चुनी हुई कविताएँ, पत्थरतराशी, एक टुकड़ा हमेशा. रिसाइक्लिंग आदि। प्रमुख सम्मानों में क्रैको नगर का अलंकरण (1959), कला और संस्कृति-मंत्री का अलंकरण (1962), जर्मनी की ओर से सिलेसिया का प्रमुख सांस्कृतिक अलंकरण (1994) आदि। उनकी कविताओं का अनुवाद अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, इटालियन, रूसी, चेक, डच, हंगारियन, स्वीडिश, डेनिश समेत बीस से अधिक भाषाओं में हो चुका है। उन्हें वारसा विश्वविद्यालय और क्रैको के याग्येलोन्यन विश्वविद्यालय ने डाक्टरेट की मानद उपाधि से भी विभूषित किया है। अपने भाई स्तानिस्लाव रूजेविच के लिए उन्होंने कई फिल्मों की पटकथाएँ भी लिखीं। 1968 से वे पोलैण्ड के व्रोत्स्लाव नगर में रह रहे हैं।

अशोक वाजपेयी

Customer questions & answers

Add a review

Login to write a review.

Related products

Subscribe to Padhega India Newsletter!

Step into a world of stories, offers, and exclusive book buzz- right in your inbox! ✨

Subscribe to our newsletter today and never miss out on the magic of books, special deals, and insider updates. Let’s keep your reading journey inspired! 🌟