Kundalini Yoga (Hindi)

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यह पुस्तक कुण्डलिनी के जागरण हेतु एक क्रमबद्ध और व्यावहारिक उपागम प्रस्तुत करती है । इस पुस्तक में प्रत्येक चक्र का विशद् वर्णन किया गया है तथा तन्त्र एवं योग के अभ्यास में चक्र के महत्त्व को समझाया गया है । शरीर , मन एवं आत्मा में अधिक सामंजस्य लाने तथा कुण्डलिनी शक्ति के जागरण की तैयारी के लिए प्रत्येक चक्र को सन्तुलित बनाने के अभ्यास दिये गये हैं । बीस क्रियाओं तथा उनके सहायक अभ्यासों को विस्तारपूर्वक समझाया गया है । कुण्डलिनी , चक्रों एवं क्रिया योग की व्याख्या करते हुए , यह विभिन्न परिस्थितियों में रहने वाले विभिन्न व्यक्तियों में जागरण लाने की भिन्न – भिन्न विधियों का सर्वांगीण विश्लेषण करते हुए आगे बढ़ती है । इस लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने के लिए आप यहाँ यौगिक एवं तांत्रिक तकनीकों से सम्बन्धित स्पष्ट एवं प्रत्यक्ष निर्देश पायेंगे । इसमें जागरण के अनुभव के लक्षणों तथा प्रभावों को जानने तथा उन पर नियंत्रण रखने के तरीके बताये गये हैं । यह आपको चेतना के क्षेत्र की महान् साहसिक यात्रा में सब प्रकार से सहयोग प्रदान करेगी ।

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