Lakhima Ki Aankhen

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हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार रांगेय राघव ने विशिष्ट कवियों, कलाकरों और चिंतकों के जीवन पर आधारित उपन्यासों की एक शृंखला लिखकर साहित्य की एक बड़ी आवश्यकता को पूर्ण किया है। प्रस्तुत उपन्यास महाकवि विद्यापति के जीवन पर आधारित अत्यंत रोचक मौलिक रचना है।\nविद्यापति का काव्य अपनी मधुरता, लालित्य तथा गेयता के कारण पूर्वोत्तर भारत में बहुत लोकप्रिय हुआ और आज भी लोकप्रिय है। लेखक ने स्वयं मिथिला जाकर कवि के गांव की यात्रा करके गहरे शोध के बाद यह उपन्यास लिखा है। मिथिला के राजकवि, विद्यापति ठाकुर कुछ समय मुसलमानों के बंदी भी रहे। उन्होंने संस्कृत में भी बहुत कुछ लिखा परन्तु अपनी मैथिल भाषा में जो लिखा वह अमर हो गया।\nआदि से तक अत्यंत रोचक यह उपन्यास उस युग के समाज, राजनीति और धार्मिक जीवन का भी सजीव चित्रण करता है।

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Rangey Raghav

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