Lockdown

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लॉकडाउन - \nहमारा समाज और इस समाज में रहने वाले मनुष्य जीवन की अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ही परिस्थितियों में अपने अस्तित्व के सत्य की पहचान करते हैं। लेकिन जीवन हर समय एक समान नहीं रहता। बीते काफ़ी समय से ऐसी ही स्थितियों के कारण न केवल हमारे समाज बल्कि सम्पूर्ण मानव सभ्यता के लिए आपातकाल की स्थिति बनी हुई है। देखा जाये तो संकट और भय की वह स्थिति अभी भी मानव समाज पर एक तलवार की तरह ही लटकी हुई है। सम्पूर्ण मानव इतिहास के लिए जीवन और जीवन से जुड़े विषय चिन्ता का विषय बन गये। \nसमाज का प्रत्येक वर्ग किसी न किसी तरह इससे अवश्य प्रभावित हुआ है। हर क्षेत्र, उद्योग, कारखाने और यहाँ तक की मज़दूरी कार्य भी कोरोना कालचक्र की गम्भीर स्थिति से गुज़रा। यह संग्रह उसी समय को चिन्हित कर रहा है। \nइस संग्रह में शामिल सभी सोलह कहानियाँ पाठकों को उन पात्रों के जीवन में दाख़िल होने देती हैं जो अपना सामाजिक दायित्व निभाना चाहते हैं। इन कहानियों में ऐसे पात्र भी उपस्थित हैं जो महामारी के इस आपातकाल में अपने आस-पास के समाज की ख़राब मानसिकता का शिकार भी होते हैं।\nसंग्रह की सभी कहानियाँ अपने समय को दर्ज करती हैं और यह कहने की कोशिश करती हैं कि समय सबकुछ है। लेखक ने अपने विवेक का प्रयोग करते हुए कोरोना काल को अपनी क़लम द्वारा कहानियों के माध्यम से लिखने का प्रयास किया है। यह सभी कहानियाँ उन क्षणों की साक्षी हैं जिनका सामना करने को सम्पूर्ण मानव सभ्यता अभिशप्त है।

धन्यकुमार जिनपाल बिराजदार - ज्ञात भाषा: हिन्दी, कन्नड़, मराठी व अंग्रेजी। प्रकाशित कृतियाँ: 'समाज धन', 'लॉकडाउन' व 'जनमंथन' (कहानी-संग्रह), 'साहित्य के नये प्रतिमान', 'वचनामृतधारा'। सम्पादन: हिन्दी का वैश्विक परिदृश्य, सन्त तथा शरण साहित्य की प्रासंगिकता, हिन्दी आत्मकथा के विविध आयाम, हिन्दी तथा कन्नड़ आत्मकथा के विविध आयाम, मराठी साहित्याचा अन्तरराष्ट्रीय परिदृश्य। भूमिका लेखन: 'परम्परा को आधुनिकता', 'दलित चिन्तक : दया पवार', 'हिन्दी मराठी दलित साहित्य : एक अध्ययन', 'मुक्तिपर्व एक अनुशीलन', 'हुरहुर', 'समकालीन हिन्दी कविता विविध विमर्श', 'समकालीन महिला रचनाकार', 'हिन्दी साहित्य पूर्णिमा आलोक', 'रंगमंचीयता के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी काव्य नाटक', '21वीं सदी का हिन्दी साहित्य : नये आयाम', 'समकालीन हिन्दी कहानियों में आम आदमी', 'सुमन वाटिका', 'कमल कुमार के कथा साहित्य में नारी संघर्ष', 'काव्यांजलि'। अन्य लेखन समाचार-पत्रों व पत्रिकाओं में 110 आलेख प्रकाशित। आकाशवाणी से 50 विषयों पर हिन्दी वार्ता प्रसारित। संगोष्ठी आज तक 78 राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में सत्राध्यक्ष, विषय प्रवर्तक के रूप में मन्तव्य तथा प्रपत्र प्रस्तुति। वेबिनार : कोरोना काल में पन्द्रह राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनार में विषय प्रवर्तक के रूप में मन्तव्य तथा सहभाग व्याख्यान : शासकीय कार्यालयों, विद्यालयों महाविद्यालयों में चार सौ पचास से भी अधिक व्याख्यान। सदस्य : महाराष्ट्र राज्य पाठ्यपुस्तक निर्मिति व संशोधन मण्डल, पुणे (अध्यक्ष, हिन्दी भाषा समिति) अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति, विवेकानन्द केन्द्र, साने गुरुजी कथामाला, भारतीय जैन परिषदकासार सहकारी गृहनिर्माण संस्था, सोलापुर (मंगलक)।

धन्यकुमार जिनपाल बिराजदर

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