अवध का इतिहास एक वृहद् विषय है। यह शून्य से शुरू होकर उत्कर्ष और ईस्ट इण्डिया कम्पनी से ब्रिटिश साम्राज्य के महत्त्वपूर्ण प्रक्षेत्र में बदलने की कहानी है तो शेखजादाओं से आरम्भ होकर नवाबी युग और फिर बादशाहत, 1857 के लम्बे चले संघर्ष का घटनाक्रम भी है। यह उत्तर भारत की उस ऐतिहासिक विरासत, संस्कृति और तहजीब का जीवन्त और विशद आख्यान है, जिसे इतिहास के किसी कालखण्ड में अनदेखा नहीं किया जा सकता। यह पुस्तक अवध के पूरे इतिहास को समेटने का प्रयास न होकर उसके बनने, बिगड़ने, सँभलने और नवाबी युग से बादशाहत के साम्राज्य में फैलने/संकुचित होने की वह कहानी है, जिसे हम जानने की उत्कण्ठा रखते हैं। इस पुस्तक में शेखजादाओं के बाद से सआदत खान और सफदरजंग के गौरवशाली इतिहास का वर्णन है, उनके शून्य से शिखर तक पहुँचने और चर्चित आखिरी बादशाह वाजिद अली शाह के शासन काल तक दरक कर विस्मृत हो जाने के समय की कथा के मुख्य बिन्दुओं का लेखन किया गया है। सन् 1801 के बाद से, जब ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी अपनी निश्चितता के साथ उत्तर भारत की प्रमुख रियासतों में पाँव पसार रही थी तो अवध पर उनकी सतर्क निगाह शुरू से ही बनी हुई थी। ऐसा एक तो इस प्रान्त की सामरिक स्थिति के कारण था, तो यहाँ की समृद्धि, सामरिक स्थिति और दिल्ली से निकटता के कारण। इसीलिए यह किताब उन घटनाक्रमों का अनायास ही इतिहास सम्मत विश्लेषण करने की कोशिश भी करती है, जिनके माध्यम से ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सत्ता अवध को अपने साम्राज्य का अभिन्न अंग बनाने को बेचैन थी।
डॉ. हैदर अली - हिन्दी-उर्दू साहित्य के अन्तर्सम्बन्धों में गहरी दिलचस्पी रखने वाले युवा लेखक हैदर अली का जन्म गाँव रटौल, (बागपत), यू.पी. में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा गाँव के मिशनरी स्कूल से। बी.ए. से पीएच.डी. तक की शिक्षा जामिया मिल्लिया इस्लामिया नयी दिल्ली से। प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं, यथा हंस, नया ज्ञानोदय, आजकल, वर्तमान साहित्य, चाणक्य वार्ता, देस हरियाणा व नयापथ आदि में लगातार लेखन के अतिरिक्त एक पत्रिका 'नया सवेरा भारत' के सम्पादन से भी जुड़े हुए है। अब तक तीन पुस्तक 'हिन्दी-उर्दू के उपन्यासों में सुधारवादी चेतना', 'पहली बारिश' तथा 'हिन्दुस्तानीयत का राही' प्रकाशित। 'विलायत के अजूबे' राजकमल से शीघ्र प्रकाश्य। इसके अलावा उर्दू की कई महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद करने में लगे है। 'हिन्दी उर्दू के प्रसिद्ध व्यंग्यकार' पुस्तक की योजना पर कार्य जारी है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हिन्दी विभाग में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत हैं।
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