मेघदूत एक विख्यात गीतिकाव्य है, जिसमें यक्ष द्वारा मेघ से संदेश ले जाने की प्रार्थना और उसे दूत बनाकर अपनी प्रिय के पास भेजने का वर्णन है।\nमेघदूत काव्य दो खंडों में विभक्त है। पूर्वमेघ में यक्ष बादल को रामगिरि से अलकापुरी तक के रास्ते का विवरण देता है और उत्तरमेघ में यक्ष का यह प्रसिद्ध विरहदग्ध संदेश है जिसमें कालिदास ने प्रेमी-हृदय की भावना को उड़ेल दिया है।\nइस संस्करण का उद्देश्य विद्यार्थियों, शोधार्थियों और प्रतियोगियों के लिए एक ही स्थान पर सारगर्भित सामग्री को पाठ्यक्रम के अनुसार एवं महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी सहित उपलब्ध कराना है।\nमेघदूत के इस संस्करण का हिंदी अनुवाद महान शिक्षाशास्त्री डॉ. भगवतशरण उपाध्याय ने किया है एवं इसकी भूमिका हिंदी साहित्य के द्विवेदी युग के प्रणेता महावीर प्रसार द्विवेदी ने लिखी है।
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