महागाथा - \nअपने शक्तिशाली कथानक एवं प्रभावपूर्ण चरित्र चित्रण के कारण 'महाभारत' आज हज़ारों वर्ष बाद भी लोकप्रिय है। माना जाता है कि जीवन में जो कुछ भी होता है 'महाभारत' में वह सब देखने को मिलता है। विश्व में शायद ही ऐसी कोई कृति होगी, जिसमें जीवन के इतने सारे अनुभव ढेर सारे चरित्रों के माध्यम से पाठकों तक पहुँचते हैं। सचमुच भारतीय संस्कृति का एक रत्न-भण्डार है 'महाभारत'।\nइस ऐतिहासिक कथा के कुछ प्रसंग ऐसे भी हैं जो इसकी प्रामाणिकता पर प्रश्न चिह्न लगाकर इसे मिथक की श्रेणी में रखने के लिए प्रेरित करते रहे हैं। जैसे क्या किसी मन्त्र द्वारा, किसी देवता की कृपा से, सन्तान प्राप्त हो सकती है? कर्ण का जन्म कवच एवं कुण्डल सहित कैसे हुआ? गान्धारी के गर्भ से सौ पुत्रों का जन्म कैसे हुआ? विपदा में पड़ी द्रौपदी का चीर कृष्ण ने, दूर बैठे ही, कैसे बढ़ा दिया? शापग्रस्त अप्सरा ने गंगा के रूप में मानव-जन्म लेकर, अपने सात पुत्रों को जल में क्यों प्रवाहित कर दिया? व्यूह भेदन का ज्ञान अभिमन्यु को गर्भ में ही कैसे प्राप्त हो गया?\nऐसे ही अनेक मिथकीय प्रसंगों का तर्क-सम्मत विश्लेषण करके, महाभारत की कथा को यथार्थ के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करता हुआ, कवि-कथाकार डॉ. सीतेश आलोक का रोचक उपन्यास है— महागाथा। पाठकों को समर्पित है इस महत्त्वपूर्ण उपन्यास का नया संस्करण।
डॉ. सीतेश आलोक - प्रयाग विश्वविद्यालय से एम.ए., पीएच.डी. तथा भातखण्डे संगीत महाविद्यालय (पुणे) से संगीत विशारद, विज़िटिंग फ़ेलो, क्वीन एलिज़ाबेथ हाउस, ऑक्सफ़ोर्ड यू.के., सीनियर फ़ेलोशिप, मा. सं. विकास मन्त्रालय, भारत सरकार। प्रमुख रचनाएँ: 'बच गया आकाश', 'यथासम्भव' तथा 'बाज़ार में गुड़िया' (कविता संग्रह); 'नासमझ' 'अन्धा सवेरा', 'रेंगती हुई शाम', 'तुम कहो तो' (कहानी-संग्रह); 'परनिन्दा परमं सुखम्' (व्यंग्य संग्रह); 'कैसे कैसे लोग', 'विचित्र' (लघुकथा संग्रह); 'गाते गुनगुनाते' (गीत); 'छोटा-सा सपना' (ग़ज़ल-रुबाई); 'मानस मंगल', 'यथार्थ रामायण'; 'रामायण पात्र परिचय' (शोध); 'लिबर्टी के देश में' (यात्रा वृत्तान्त); 'सूरज की छुट्टी' (बालगीत); 'बन्दर का सुख', 'तपस्या' (बाल कथाएँ)। अनेक कृतियाँ विभिन्न भारतीय भाषाओं तथा अंग्रेज़ी में अनूदित। एक कहानी 'आज़ाद पंछी' पर दूरदर्शन द्वारा टेलीफ़िल्म निर्मित/प्रसारित। हिन्दी अकादमी, दिल्ली का साहित्यकार सम्मान (1997–98), उ.प्र. हिन्दी संस्थान का अनुशंसा पुरस्कार (1998) तथा साहित्य भूषण, भारतीय साहित्य परिषद्, दिल्ली का कृति सम्मान (1999); केन्द्रीय हिन्दी संस्थान का साहित्य सेवी सम्मान (1999), राष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान, मानस संगम साहित्य पुरस्कार, तथा अक्षरम् साहित्य सम्मान।
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