‘मल्हार’ की कहानी ठीक वहीं से प्रारंभ होती है, जहाँ प्रथम भाग की समाप्ति हुई थी। दूसरा भाग असुर देश, मुंद्रा, सौराष्ट्र तथा ऊसर की रोमांचक यात्रा करते हुए आगे बढ़ता है, और कई नई घटनाओं के माध्यम से अर्थला के कल्पनातीत संसार को विस्तारित भी करता जाता है। संग्राम-सिंधु गाथा का यह खंड असुरों के व्यापार, उनकी राजनैतिक स्थिति और आगामी युद्ध में उनकी भूमिका के पीछे के कारणों पर प्रकाश डालेगा। अकल्पित युग की यात्रा जारी है।
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