Mamta Kaliya Ki Kahaniyan (Set of 3 Books)

  • Format:

ममता कालिया की कहानियाँ नयी कहानी के विस्तार से अधिक उसका प्रतिवाद हैं। सातवें दशक की कहानी में सम्बन्धों से बाहर आने की चेतना स्पष्ट है। राजेन्द्र यादव नयी कहानी को 'सम्बन्ध' को आधार बनाकर ही समझने और परिभाषित करने की कोशिश करते हैं। ममता कालिया अपनी पीढ़ी के अन्य कहानीकारों की तरह ही इसे समझने में अधिक समय नहीं लेतीं कि अपने निजी जीवन के सुख-दुःख और प्रेम की चुहलों से कहानी को बाँधे रखकर उसे वयस्क नहीं बनाया जा सकता। उनकी कहानियाँ स्त्री-पुरुष सम्बन्धों को पर्याप्त महत्त्व देने पर भी उसी को सब कुछ मानने से इनकार करती हैं। वे समूचे मध्यवर्ग की स्त्री को केन्द्र में रखकर जटिल सामाजिक संरचना में स्त्री की स्थिति और नियति को परिभाषित करती हैं। उनकी स्त्री इसे अच्छी तरह समझती है कि अपनी आज़ादी की लड़ाई को मुल्क की आज़ादी की लड़ाई की तरह ही लड़ना होता है और जिस क़ीमत पर यह आज़ादी मिलती है, उसी हिसाब से उसकी क़द्र की जाती है। संरचना की दृष्टि से ममता कालिया की ये कहानियाँ उस औपन्यासिक विस्तार से मुक्त हैं जिसके कारण ही कृष्णा सोबती की अनेक कहानियों को आसानी से उपन्यास मान लिया जाता रहा है। काव्य-उपकरणों के उपयोग में भी वे पर्याप्त संयत और सन्तुलित हैं। वे सीधी, अर्थगर्भी और पारदर्शी भाषा के उपयोग पर बल लेती हुई अकारण ब्योरों और स्फीति से बचती हैं। \n\nभारतीय राजनीति में कांग्रेस के वर्चस्व के टूटने और नक्सलवाद जैसी परिघटना का कोई संकेत भले ही ममता कालिया की कहानियों में न मिलता हो, जैसा वह उनके ही अन्य समकालीन अनेक कहानीकारों में आसानी से लक्षित किया जा सकता है, लेकिन फिर भी अपनी प्रकृति में वे नयी कहानी की सम्बन्ध-आधारित कहानियों की तुलना में कहीं अधिक राजनीतिक हैं। देश में बढ़ी और फैली अराजकता एवं विद्रूपताओं से सबसे अधिक गहराई से स्त्री ही प्रभावित हुई है। यह अकारण नहीं है कि उनकी भाषा में एक ख़ास तरह की तुर्शी है जिसकी मदद से वे सामाजिक विद्रूपताओं पर व्यंग्य का बहुत सधा और सीधा उपयोग करती हैं। नयी कहानी के जिन लेखकों को ममता कालिया अपने बहुत निकट और आत्मीय पाती हैं, इसे फिर दोहराया जा सकता है, वे परसाई और अमरकान्त ही हैं। यदि ऐसी कोई शर्त हो कि ममता जी के बारे में एक वाक्य में कुछ कहना है तो यही कहना चाहूँगा-ममता जी अप्रतिम गद्यकार हैं। ममता जी की लेखन-सम्पदा में सबसे बेशक़ीमती तत्त्व है उनका गद्य। प्रचलित शब्दावली में कहूँ तो नौलखा है उनका गद्य । ध्यान से देखें तो उनके कथा साहित्य और कथेतर साहित्य दोनों में उनके गद्य के अनूठेपन का ठाठ दिखता है। विशेष यह है कि दोनों विधाओं में उनके गद्य की सूरत समानधर्मी है। यहाँ तक कि अपने सामाजिक व्यवहार में लोगों से संवाद करते, व्याख्यान देते, साक्षात्कार देते हुए भी उनकी भाषा में वह रंग रहता है। उनके गद्य में आपको गहन आत्मीयता की ऊष्मा महसूस होगी लेकिन उतना ही तीव्र तंज़ के कड़वापन का जायका भी साथ में मिलेगा। यह सलीक़ा अपनी रचना में चरित्रों के प्रति आवश्यक लेखकीय लगाव और तटस्थता बरतने से हासिल होता है। अगली बात, उनकी भाषा दृश्य रचने के लिए प्रतिज्ञाबद्ध दिखती है। उस दृश्य में वास्तविकता तथा लोगबाग का सूक्ष्म पर्यवेक्षण मिलेगा; माहौल के माकूल संवाद मिलेगा। इन सबके संग लेखक की खुशमिज़ाजी, हाज़िरजवाबी और थोड़ी-सी नाराज़गी का रसायन रचना के वर्णन को पाठक के भीतर उतारकर एक ऐसी पुख़्तगी प्रदान करता है कि वह मिटाये भी नहीं मिटता है। यही ममता जी के गद्य का अन्दाज़ है। उनका अपना हस्ताक्षर। जीवन में वह ज़रूर ज़्यादातर ममतामयी हैं किन्तु लेखन में वह पूर्णतया वैसी नहीं हैं। एक गद्यकार को वैसा होना भी नहीं चाहिए। वह अपनी रचनाओं के मैदान में तेज़ प्रहार भी करती हैं। कथा में और कथेतर में भी। हालाँकि फ़ेसबुक पर या पत्र-पत्रिकाओं में जब वह किसी लेखक की पुस्तक पर समीक्षा, आलोचना जैसा कुछ लिखती हैं तो अपने सारे तीर तरकश में धर लेती हैं और तब उनका ममतामयी पक्ष ही काम करता है। ममता जी के गद्य की एक अन्य विशिष्टता है, उसमें नगर और देशज की भाषा रंगतों का सहमेल । वैसे भी ब्रज की संस्कृति में उनका बचपन बीता है। दिल्ली में रहीं, मुम्बई में भी और फिर इलाहाबाद में। बीच-बीच में बहुत शहरों में रहीं जिनका ज़िक्र कितने शहरों में कितनी बार में हुआ है। सभी जानते हैं, भाषा भूगोल के अनुसार बनती, बढ़ती और बदलती है; तो कई भाषिक रंगों के मिलने से ममता जी की भाषा का रंग निर्मित हुआ है। यह अलग है कि वहाँ मथुरा और इलाहाबाद के रंग ज़रा चटख हैं।

Customer questions & answers

Add a review

Login to write a review.

Related products

Subscribe to Padhega India Newsletter!

Step into a world of stories, offers, and exclusive book buzz- right in your inbox! ✨

Subscribe to our newsletter today and never miss out on the magic of books, special deals, and insider updates. Let’s keep your reading journey inspired! 🌟