ये दास्तान आंखों में सुनहरे ख्वाब समेटे, आसमान फतह कर लेने का इरादे रखने वाले एक 24 बरस के युवा फाइटर पायलट की है। मिग-21 के इंजिन का शोर मानों उसकी नसों में बहता था। एमपी अनिल कुमार भारतीय वायुसेना के बेहतरीन फाइटर पायलटों में से थे, लेकिन एक हादसे ने जैसे सबकुछ बदल दिया। कभी हवा से बातें करने वाला एमपी अब गर्दन से नीचे पूरी तरह लकवाग्रस्त हो चुका था। एक लड़ाकू हवाबाज अब हमेशा के लिए व्हीलचेयर पर था। हादसे के बाद वो पायलट भले ही नही रहा हो लेकिन वो फाइटर हमेशा बना रहा, कभी न थकने वाला, कभी न हारने वाला, जीवन के प्रति उमंगों और उत्साह से लबरेज। हाथों ने साथ नहीं दिया तो उसने मुँह से लिखना सीख लिया। जीवन के अनुभवों से लेकर सामाजिक सरोकारों पर लिखे गए उसके लेख अखबारों के साथ-साथ लोगों के दिलों में भी जगह बनाते गए। इस हालत में भी वो दुनिया के लिए रोशनी की एक किरण था। तमाम उम्र वो लड़ते रहे - अपनी अपंगता से, अपनी लाचारी से, कैंसर से...लेकिन वो हारे नहीं... एक पायलट ने अब अपनी उड़ान के लिए नए फलक तलाश लिए थे, जहां वो ऊंचा और बहुत ऊंचा उड़ा। ये उनके ‘मन की उड़ान’ थी....
Commissioned into the Indian Air Force in December 1984, Air Commodore Nitin Sathe has 30 years of distinguished service as a helicopter pilot. Author of?'Tsunami 2004: A Few Goodmen and the Angry Sea', Nitin Sathe currently heads a premier Services Selection Board for the IAF.
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