मरें तो उम्र भर के लिए - हिन्दी कथा साहित्य के नये हस्ताक्षर आशुतोष असीमित सम्भावनाओं से युक्त हैं। निश्चय ही वह एक सशक्त रचनाकार हैं। 'मरें तो उम्र भर के लिए' आशुतोष का पहला कहानी-संग्रह है। आशुतोष के पास क़िस्सा कहने की भरपूर दृष्टि, सामर्थ्य और कला है। उनकी भाषा भी आत्मीय रंगत लिये है। शैली तो अलग से पहचानी जाने वाली है। वह अपनी कहानियों का कथ्य भी आम आदमी के रोज़मर्रा के जीवन से ही उठाते हैं। अपनी शुरुआती कुछ कहानियों के बल पर ही अपनी पहचान बना चुके आशुतोष सरल शब्दों में अपनी बात कह लेने में माहिर हैं। उन्हें स्पष्ट, निश्चित, निर्णयात्मक और पारम्परिक स्थितियाँ अपनी कहानियों के कथ्य के रूप में अधिक प्रिय हैं। आशुतोष को पढ़ना जैसे अपने समाज को नये ढंग से आविष्कृत करना है।
आशुतोष जन्म : ग्राम भीमल छपरा, कुशीनगर (उ.प्र.) में । शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी) दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर: एम.ए. (अहिंसा एवं शान्ति अध्ययन) महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा, महाराष्ट्र । पुस्तकों में अध्याय : आधुनिक सभ्यता का विकल्प, हिन्द स्वराज का सच (सम्पा. मिथलेश); इल्म की स्वदेशी समझ : नयी तालीम (सम्पा. ए. अरविन्दाक्षन); ईसुरी को याद करते हुए, जनकवि ईसुरी (सम्पा. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी); पीली छतरी वाली लड़की : स्त्री पीड़ा का आख्यान, सृजनात्मकता के आयाम (सम्पा. ज्योतिष जोशी) में आलेख शामिल । लखनऊ दूरदर्शन के कार्यक्रम-नगरकथा के दो क़िस्तों के लिए शोध और आलेख, लखनऊ दूरदर्शन । वीडियो फ़िल्म- मन बाबा गोरखनाथ के की पटकथा और संवाद लेखन । फ़ीचर फ़िल्म- भइले पिया परदेशी, झूलनी का रंग साँचा के लिए पटकथा और संवाद लेखन । सम्पर्क : सी-97, चार बंगला, डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर विश्वविद्यालय परिसर मो. : 09479398591 ई-मेल : prominentashu786@gmail.com
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