हिन्दुस्तान पर 500 साल से भी ज्यादा मुस्लिम शासकों का शासन रहा, लेकिन वे शासक ‘धार्मिक कट्टरपन्थी’ नहीं थे, इसीलिए हिन्दुस्तान की आबादी में आज भी 85 प्रतिशत हिन्दू हैं। इस दौरान स्थानीय धार्मिक और सामाजिक रीति- रिवाज और मान्यताओं ने बाहर से आने वाले मुसलमानों पर भी अपना प्रभाव डाला। हिन्दुस्तान के साधू-सन्त और उनकी परम्पराओं को भी हिन्दुस्तानी इस्लाम में कुबूल कर लिया गया। इस तरह हिन्दू और हिन्दुस्तान में आए इस्लाम के बीच धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आदान- प्रदान हुआ, जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। हिन्दुस्तान में जब धीरे-धीरे मुस्लिम शासकों का शासन कमज़ोर होता गया तो उलेमाओं के ऊपर भी रोक-भीम कम होती गयी। इसी बीच उलेमाओं ने अपने आपको मुस्लिम समुदायों के डर और आशंकाओं के बीच खुद को उनका नेतृत्वकर्ता घोषित कर लिया। \nहिन्दुस्तान में ज्यादातर मुसलमान सुन्नी हैं और मुख्य रूप से हनफ़ी हैं। वे अपने-अपने फ़िक़ा (समुदाय) पर अमल करते हैं। हनफ़ी सुन्नी मुसलमानों के बीच दो मुख्य फिरने (समुदाय) हैं-बरेलवी और देवबन्दी। इन दोनों फिरकों को मानने वाले लोग एकसाथ रहते हैं और कुछ हद तक आपस में मिलते-जुलते भी हैं, लेकिन नाम रखने और ईश-निन्दा यानी अवमानना की हद तक एक-दूसरे के मुखालिफ़ भी हैं।
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