मौलाना अबुल कलाम आज़ाद - \nमौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित रहा। बचपन से लेकर अपनी अन्तिम साँस तक उन्होंने देश की एकता के लिए कार्य किया। मुस्लिम समाज की शिक्षा, न्याय-प्रियता और धार्मिक सहिष्णुता के लिए भी उन्होंने अथक प्रयास किये। लेखक ने इन सभी चीज़ों का बारीक़ी से अध्ययन करके सहज बोधगम्य भाषा में लिखा है, जिसके कारण इस पुस्तक की उपयोगिता अपने आप सिद्ध हो जाती है।\nकिसी का जीवन किन कारणों से लोगों के लिए अनुकरणीय बनता है और किन गुणों की वजह से वह हमेशा समाज में जीवित रहता है, इनका यदि किसी की जीवन-कथा में उल्लेख न हो तो फिर वह प्रेरणादायी नहीं बन सकती। लेखक ने इन तथ्यों पर विशेष ग़ौर किया है।\nअबुल कलाम आज़ाद ऐसे शख़्स थे, जिन्होंने देश और समाज के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य किये और आज़ादी के संघर्ष में लम्बे अरसे तक जेल में रहे। यहाँ तक कि उन्होंने इसके लिए अपने घर-परिवार की भी परवाह नहीं की। ऐसे महान व्यक्ति के बारे में लिखकर लेखक ने बड़ा ही प्रशंसनीय कार्य किया है। हमें पूरी उम्मीद है कि देश की नयी पीढ़ी मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जीवन से उन आदर्शों और गुणों को अवश्य ग्रहण करेगी, जिसके रहते न केवल देश का, बल्कि पूरे विश्व समुदाय में भाई-चारा, शान्ति और सौहार्द का वातावरण तैयार किया जा सकता है।
हीरालाल नागर - कहानी, कविता और समीक्षात्मक लेखन में सक्रिय 'समय चेतना', 'दैनिक भास्कर' और 'अहा! ज़िन्दगी' पत्रिका में कार्य। 'जंगल के ख़िलाफ़' (कहानी-संग्रह), 1994 में, 'अधूरी हसरतों का अन्त' (कहानी-संग्रह) 2004 में और चर्चित उपन्यास 'डेक पर अँधेरा', 2013 में प्रकाशित। 'कितनी आवाज़ें' (लघुकथा संग्रह) और कमलेश्वर की चुनिन्दा कहानियों के संग्रह का सम्पादन 'सोलह छतों का घर' शीर्षक से। वर्ष 2002 में कथा लेखन के लिए 'आर्य स्मृति साहित्य सम्मान', और 2005 में 'शैलेश मटियानी कथा सम्मान' से सम्मानित।
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