छोटी सी पूँजी लेकर बड़े सपने आँखों में सजाकर ‘जी’ नेटवर्क का साम्राज्य बनानेवाले सुभाष चंद्रा आज ‘मीडिया मुगल’ के नाम से जाने जाते हैं। टेलीविजन इंडस्ट्री में आने से पहले वे चावल निर्यात करने का काम करते थे। उन्होंने भारत के पहले निजी टेलीविजन चैनल ‘जी’ टेलीविजन की शुरुआत की। उनकी जीवनगाथा परी कथाओं सी मनोहारी नहीं, वरन् अनथक मेहनत की स्याही से जीवन के कठोर धरातल पर लिखी गई, झंझावातों से ओतप्रोत एक ऐसी गाथा है, जो रोचक है और प्रेरक भी। प्रस्तुत पुस्तक सुभाष चंद्रा के आदर्शों और दूरदृष्टि की परिचायक है, जो निश्चय ही अनुसरण करने योग्य है। कुशल प्रबंधन, सटीक विश्लेषण, लक्ष्यनिर्धारण, योजना बनाना, सटीक निर्णय लेना, वित्तव्यवस्थापन, विपणन व्यवस्था, अनुशासनप्रियता, जोखिम उठाना, नवप्रवर्तन, कल्पनाशीलता आदि ऐसे गुण हैं, जिन्होंने सुभाष चंद्रा को शून्य से शिखर पर पहुँचा दिया। ऐसे प्रेरक व्यक्तित्व की जीवनगाथा, जो पाठक को सफलता के द्वार खोलने के लिए कठिन परिश्रम करने और उद्यमशीलता के लिए प्रेरित करेगी।
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