संजय व्यास अपने गद्य के अनूठेपन के लिए जाने जाते हैं। अपनी तरह की रचनाओं की उनकी ये दूसरी किताब है। पहली किताब 'टिम टिम रास्तों के अक्स' भी हिंद-युग्म से ही कुछ बरस पहले प्रकाशित। यह किताब - मिट्टी की परात छोटी छोटी रचनाएँ हर रचना अपनी हसरतों में एक कहानी है। या कह सकते हैं, इस किताब की हर ‘कहानी’ ऐसी, जो कहानी होने से कुछ क़दम पहले ठहर जाती है, सुस्ताने लग जाती है। पाठक रचना के खुले सिरों को अपनी तरह से पकड़ता है, उसे अपने तरीक़े से कहानी होने तक पहुँचाता है और… यूँ हर रचना हर पढ़ने वाले को अलग और विशिष्ट आस्वाद देती है। रचना संग्रह ‘मिट्टी की परात’ कई ख़ूबसूरत रंगों का कलाइडोस्कोप है, और मिट्टी का ‘मटिया’ रंग तो जिसका सिर्फ़ एक रंग है।.\n\n
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