Mujhe Chaand Chahiye

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मुझे चाँद चाहिए -\n\nअपने वर्तमान से बेहद भन्नाई छोटे-से क़स्बे के पुरातनपन्थी, अभाव-जर्जर ब्राह्मण परिवार की सिलबिल ने जब अपना नाम बदला और एक नाटक में अभिनय किया, तब उसे मालूम नहीं था कि अपनी पहचान एवं जीवन-दिशा ढूँढ़ने की उसकी कोशिश अनजाने ही नयी लीक बनाने के कारण उसे सनातन पारिवारिक महाभारत की ओर ले जा रही है ! पर आर्थिक आत्मनिर्भरता, आत्माभिव्यक्ति की तड़प और दुनिया में अपनी जगह बनाने की बेकली वर्षारूपी नाव को शाहजहाँनाबाद की नदी से नयी दिल्ली के समुद्र में लाकर रही, जहाँ कला-कुंड नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में धीरे-धीरे तपते हुए उसने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी क्षमता प्रमाणित की। फिर दूसरे सागर मायानगरी मुम्बई तक पहुँचने के पीछे फ़िल्म माध्यम की व्यापकता के साथ-साथ कलाओं का आर्थिक व्याकरण भी था। उसने प्रेम सहज भाव से किया था, लेकिन वर्षा के दृढ़ व्यक्तित्व के कारण वह भी लीक से हट कर ही साबित हुआ\n\nआत्मसंशय, आत्मान्वेषण और आत्मोपलब्धि की इस कंटक-यात्रा में वर्षा अपने परिवार के तीखे विरोध से लहूलुहान हुई और फ़िल्म स्टारडम तक पहुँचने के बावजूद अपनी रचनात्मक प्रतिभा को माँजने-निखारनेवाली दुरूह प्रक्रिया से क्षत-विक्षत। लेकिन उसकी कलात्मक निष्ठा उसे संघर्ष-पथ पर आगे बढ़ाती रही।\n\nवस्तुतः यह कथा-कृति व्यक्ति और उसके कलाकार, परिवार, सहयोगियों एवं परिवेश के बीच चलनेवाले सनातन द्वन्द्व की और कला तथा जीवन के पैने संघर्ष व अन्तर्विरोधों की महागाथा है।\n\nपरम्परा और आधुनिकता की ज्वलनशील टकराहट से दीप्त रंगमंच एवं सिनेमा जैसे कला क्षेत्रों की महाकाव्यात्मक पड़ताल! कथात्मक विवरणात्मक शैली और नाट्य-शिल्प युक्तियों का कल्पनाशील समावेश करने वाला अनुपम औपन्यासिक प्रयोग !

सुरेन्द्र वर्मा जन्म : 7 सितम्बर, 1941 शिक्षा : एम.ए. (भाषाविज्ञान) अभिरुचियाँ : प्राचीन और मध्यकालीन भारतीय इतिहास, सभ्यता एवं संस्कृति; रंगमंच तथा अन्तरराष्ट्रीय सिनेमा में गहरी दिलचस्पी । कृतियाँ : मुग़ल महाभारत, तीन नाटक, सूर्य की अन्तिम किरण से सूर्य की पहली किरण तक, आठवाँ सर्ग, शकुन्तला की अँगूठी, क़ैद-ए-हयात, रति का कंगन (नाटक); नींद क्यों रात भर नहीं आती (एकांकी); जहाँ बारिश न हो (व्यंग्य); प्यार की बातें, कितना सुन्दर जोड़ा (कहानी-संग्रह); अँधेरे से परे, मुझे चाँद चाहिए, दो मुर्दों के लिए गुलदस्ता और काटना शमी का वृक्ष पद्मपंखुरी की धार से (उपन्यास)। सम्मान : संगीत नाटक अकादेमी और साहित्य अकादेमी द्वारा सम्मानित । सम्पर्क : टी-6, ग्रीन व्यू अपार्टमेंट्स, मांडी, नयी दिल्ली-110047 मो. : 09268125668 ई-मेल : svstormysoul@gmail.com

सुरेन्द्र वर्मा

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