नयी कविता की चिन्तन भूमि - \nनयी कविता के बारे में बहुतेरी ग़लत फ़हमियाँ हैं - नयी कविता अतिबौद्धिक है, सही सवालों से अपने को नहीं जोड़ती है, आदि-आदि। प्रस्तुत पुस्तक इन्हीं भ्रान्तियों को दूर करने का एक लघु प्रयास है। साथ ही, इस पुस्तक में यह भी बताया गया है कि नयी कविता बातचीत की कविता है, जंगल से जनता तक की यात्रा की कविता है, सड़क से संसद तक जोड़ने वाली कविता है। नयी कविता की उर्वर चिन्तन-भूमि का भी परिचय इस पुस्तक में मिलता है।
डॉ. ऊषा कुमारी - जन्म : 1-1-195 को आरा, भोजपुर (बिहार) में। शिक्षा : एम.ए. (पटना विश्वविद्यालय), पीएच.डी. (पटना विश्वविद्यालय) अनुभव : प्रोजेक्ट एसोसिएट, एन.सी.ई.आर.टी., नयी दिल्ली (1988-91); व्याख्याता, हिन्दी विभाग, सत्यवती कॉलेज (सान्य्म) (दिल्ली विश्वविद्यालय) (1994-96); दिसम्बर '83 से जनवरी '84 तक यू. के. प्रवास के दौरान आक्सफोर्ड एवं कैमब्रिज विश्वविद्यालय की पठन-पाठन-शैली से परिचय-लाभ। प्रेरणास्रोत : स्व. गुरुवर (डॉ.) रामखेलावन राय, भूतपूर्व अध्यक्ष, पटना विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग। अभिरुचि : समाज सेवा तथा साहित्य-सेवा।
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