देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान से आई एक हिंदू रिफ्यूजी महिला की कहानी जो चंडीगढ़ में अपने पत्रकार पति के साथ रहती है और कई द्वंदों में जीती है। उसे विभाजन के दिनों का भाईचारा याद आता है, हिंसा याद आती है और दगाबाजियाँ भी याद आती है। इस पुस्तक में प्रेम है, विछोह है, जड़ों की ओर लौटने की तड़प है और विचारधाराओं का द्वंद है। कुल मिलाकर यह किताब एक खंडित व्यक्तिक्व की महिला की कहानी है जो बंटवारे के बाद अपनी जड़ों से उखड़ चुकी है, प्रेम और आकर्षण के बीच के अंतर को समझ नहीं पाती और फिर नारीवाद की कई परतों से गुजरकर एक पारिवारिक लेकिन लगभग एकाकी जीवन जी रही है जिसमें उसका पति तो साथ है, लेकिन वह भी अपनी दुनिया में डूबा हुआ है।
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Madhur KapilaAdd a review
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