नीला बिरछा माधव शुक्ल मनोज का कविता-संग्रह है। वे अपनी कविताओं में कभी गाँधी का और कभी नेहरू का देश सजाते रहते। कभी उन्हें लगता कि गन्ना-से ऊँचे उठे हुए दिन रसीली रातें कहीं उनसे दूर ज रही हैं और कभी लगता कि आसमान तो अब भी आशा पर टँगा हुआ है।
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