निरुत्तर - \nओड़िया कथा-साहित्य की प्रख्यात लेखिका प्रतिभा राय की लम्बी कथा- यात्रा के मार्ग में एक नये पड़ाव के रूप में प्रस्तुत है उनका नवीनतम कहानी-संग्रह 'निरुत्तर'।\n'निरुत्तर' की कहानियों में मनुष्य और उसके बाह्य एवं अन्तःपरिवेश के अभिनव रूप तथा अप्रकट तसवीरें अपनी सम्पूर्णता में उभरकर आयी हैं। इनमें मनुष्य और मानवीयता के बीच के अन्तर तथा मानवीय अनुभूतियों को बड़े ही सरल, सहज और मर्मस्पर्शी शैली में व्यक्त किया गया है। यही कारण है कि लेखिका के कथा-कर्म का प्रतिनिधि व केन्द्रीय स्वर में गहरी आत्मीयता के साथ सुनाई देता है।\nभाषा, शैली, कथ्य, अभिव्यक्ति एवं मानवीय संवेदनाओं की दृष्टि से विचार करें तो संग्रह की एक-एक कहानी इस बात की पुष्टि करती है कि देश, काल, पात्र, भाषा और आत्माभिव्यक्ति की बहुविध सीमाओं से मुक्त होकर सार्वजनिक व चिरन्तन हो जाना ही एक अच्छी कहानी की परिभाषा है। यही वजह है कि आज देश में प्रतिभा राय की कहानियों और उपन्यासों का एक विशाल पाठक वर्ग दिखाई देता है।\nलेखिका भारतीय नारी की प्रतिष्ठा के प्रति भी निरन्तर सजग रही हैं। सामाजिक अन्याय का खुलकर विरोध करने में उन्होंने कभी संकोच नहीं किया। यह सात्त्विक आक्रोश उनकी सारस्वत साहित्य साधना में सहज ही देखा जा सकता है। मनुष्य की कमज़ोरियों को सहानुभूतिपूर्वक प्रकट करते हुए मानवीय और आध्यात्मिक मूल्यबोध के सहज स्पर्श से पाठकों के मन को अभिभूत और उद्वेलित करना प्रतिभा राय की कथा शैली की एक अन्य विशेषता है। पाठकों को समर्पित है 'देवकी' के बाद प्रतिभा राय का यह एक और कहानी-संग्रह 'निरुत्तर'।

डॉ. प्रतिभा राय - भारतीय ज्ञानपीठ के मूर्तिदेवी पुरस्कार, ओड़िशा साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा ओड़िशा के अति महत्त्वपूर्ण साहित्यिक 'सारला पुरस्कार' से सम्मानित डॉ. प्रतिभा राय (जन्म: 21 जनवरी, 1943) का आधुनिक ओड़िया साहित्य में एक विशिष्ट स्थान बन चुका है। रैवेंशा कॉलेज से विज्ञान की स्नातक उपाधि प्राप्त करने के बाद स्नातकोत्तर एवं पीएच.डी. के लिए शिक्षा-शास्त्र उनके अध्ययन का क्षेत्र रहा। कुछ वर्षों तक प्राध्यापन; भुवनेश्वर के बी.जे.बी. कॉलेज में शिक्षा शास्त्र विभाग की अध्यक्ष भी रहीं। अनेक सांस्कृतिक और सामाजिक संस्थाओं से सम्बद्ध। प्रतिभा राय के अब तक 14 उपन्यास और 14 कहानी-संग्रह ओड़िया में प्रकाशित हो चुके हैं। 'याज्ञसेनी', 'अरण्य', 'शिलापद्म', 'अपरिचिता', 'नील कृष्णा', 'आसावरी', 'समुद्र स्वर', 'आदिभूमि' और 'महामोह' उपन्यास तथा 'असाम्प्रत', 'चन्द्रभागा ओ चन्द्रकला', 'श्रेष्ठ गल्प', 'मनुष्य स्वर' एवं 'मोक्ष' कहानी संग्रह विशेष चर्चित हुए। ज्ञानपीठ से प्रकाशित उनकी प्रमुख कृतियाँ है– 'उत्तरमार्ग', 'आदिभूमि' (उपन्यास) तथा 'देवकी' और 'निरुत्तर' (कहानी-संग्रह)।

प्रतिभा राय अनुवाद राजेन्द्र प्रसाद मिश्र

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