प्रजा परिषद् का इतिहास | Praja Parishad Ka Itihas | Struggle Story of Jammu and Kashmir

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प्रजा परिषद् पर यह पुस्तक जम्मू-कश्मीर राज्य को भीतर और बाहर से आने वाले तत्त्वों के शत्रुतापूर्ण इरादों से बचाने के लिए किए गए महान् संघर्ष और ऐतिहासिक आख्यान की झलकियाँ देती है। यह पुस्तक महान् देशभक्त पंडित प्रेमनाथ डोगरा के नेतृत्व में प्रजा परिषद् के संघर्ष की बहुत सी नई तथ्यात्मक जानकारी और यशोगाथा को उजागर करती है, जो जम्मू और कश्मीर के 1947 से पहले तथा बाद के दौर को दरशाती है।\n\nइसमें साहस और पराक्रम की कहानी का विस्तृत और सटीक विवरण है कि कैसे लोगों ने जम्मू-कश्मीर राज्य के भारत के साथ पूर्ण एकीकरण के लिए कड़ी मेहनत की, ताकि उन्हें सभी लोकतांत्रिक अधिकार प्राप्त हों। यह आंदोलन अलगाववादी प्रवृत्ति और राष्ट्र- विरोधी तत्त्वों के खिलाफ था। विरोध प्रदर्शन पूर्ण एकीकरण, कोई विशेष दर्जा नहीं, कोई अलग संविधान नहीं, राज्य ध्वज या प्रधानमंत्री का नामकरण नहीं के लिए था और नारा था-एक देश में एक विधान, एक प्रधान और एक निशान ।\n\nहर भारतीय के लिए अवश्य पढ़ने लायक प्रजा परिषद् पर एक संपूर्ण पुस्तक, जो भारत के एकीकरण के लिए समर्पण, भक्ति, बलिदान की गाथा बताती है।\n\nउनकी तुरबत पर न जलता था एक भी दीया,\n\nजिनके खून से रोशन है चिराग-ए- वतन ।\n\nऔर जगमगा रहे थे उनके मकबरे जो बेचा करते थे शहीदों के कफन।

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Prof. Kul Bhushan Mohtra

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