जैनेन्द्र कुमार का कालजयी उपन्यास है। यह परख कोई साथ बरस पहले लिखी गयी थी। इसमें नये-नये प्रयोग हुए। नये रंग खिलेंगे, नये निखार आएँगे। विद्यार्थियों के समक्ष उसे होना है, पाठ्य के रूप में। -जैनेन्द्र कुमार
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जैनेन्द्र कुमार का कालजयी उपन्यास है। यह परख कोई साथ बरस पहले लिखी गयी थी। इसमें नये-नये प्रयोग हुए। नये रंग खिलेंगे, नये निखार आएँगे। विद्यार्थियों के समक्ष उसे होना है, पाठ्य के रूप में। -जैनेन्द्र कुमार
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