Paschatya Darshan Ka Sameekshatamak Itihas: Yunani, Madhyayugeen, Aadhunik Aur Hegal Darshan

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**पाश्चात्य दर्शन का समीक्षात्मक इतिहास: यूनानी, मध्ययुगीन, आधुनिक और हेगेल दर्शन** एक विशिष्ट और गहन पुस्तक है, जो पाश्चात्य दर्शन के विभिन्न युगों और विचारधाराओं का समीक्षात्मक विश्लेषण प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक दर्शनशास्त्र के छात्रों और अध्येताओं के लिए एक मूल्यवान संसाधन है, जो पाश्चात्य दर्शन के विकास को ऐतिहासिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से समझने में रुचि रखते हैं। \n\nइस पुस्तक में पाश्चात्य दर्शन को चार प्रमुख चरणों में विभाजित किया गया है: \n1. **यूनानी दर्शन**: इसमें प्लेटो, अरस्तू, और सोक्रेटीस जैसे महान दार्शनिकों के विचार और सिद्धांतों का गहराई से अध्ययन किया गया है। \n2. **मध्ययुगीन दर्शन**: यह ईसाई धर्म और इस्लामी विचारधारा के प्रभाव के तहत विकसित हुए दार्शनिक दृष्टिकोणों पर केंद्रित है। \n3. **आधुनिक दर्शन**: इसमें डिकार्ट, कांट, और स्पिनोज़ा जैसे दार्शनिकों के विचारों का विस्तार से विश्लेषण किया गया है, जो आधुनिक युग की नींव रखते हैं। \n4. **हेगेल दर्शन**: इस खंड में हेगेल की द्वंद्वात्मक पद्धति और उनके ऐतिहासिक दृष्टिकोण को समझाया गया है, जो पाश्चात्य दर्शन में एक क्रांतिकारी बदलाव लाते हैं। \n\nपुस्तक की विशेषता इसकी समीक्षात्मक दृष्टि है, जो प्रत्येक विचारधारा के महत्व, उसकी सीमाओं और उसके प्रभाव को विश्लेषित करती है। सरल भाषा, सुव्यवस्थित प्रस्तुति और विषयों की गहराई इसे छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए एक उत्कृष्ट पाठ्य सामग्री बनाते हैं। यह पुस्तक न केवल दार्शनिक विचारों को समझने में मदद करती है, बल्कि उनके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ को भी उजागर करती है।

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