Pramukh Jain Acharyon Ka Parichay

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प्रमुख जैन आचार्यों का परिचय - \nजैन-आचार्य-परम्परा के लगभग 144 महान आचार्यों का एक साथ परिचय प्रदान करने वाली एक अनुपम कृति।\nन केवल जैन-आचार्यों का, उनके निमित्त से उनकी लगभग 275 कृतियों का भी परिचय प्रदान करने वाली एक दुर्लभ कृति। इतिहास की तह में जाकर लिखी गयी एक शोध खोजपूर्ण कृति।\nविद्यालय और विश्वविद्यालयों के छात्रों के लिए अत्यन्त उपयोगी, भाषा-शैली इतनी आधुनिक और सरल-सुबोध कि आम जनता भी समझ सके।\nजैन-जैनेतर ग्रन्थों के सभी अध्येताओं के लिए एक पठनीय एवं संग्रहणीय कृति।

प्रो. वीरसागर जैन - जन्म : राजस्थान के ग्राम गुढ़ाचन्द्रजी (करौली) में। शिक्षा : जैनदर्शनाचार्य, प्राकृताचार्य, एम.ए. (हिन्दी), पीएच.डी.। कृतित्व : 'दौलत विलास', 'श्रीपालचरित', 'भारतीय दर्शन में आत्मा एवं परमात्मा', 'तत्त्वार्थसूत्र प्रदीपिका', 'न्याय-मन्दिर' आदि लगभग दो दर्जन पुस्तकें। इनके अतिरिक्त लगभग 60 शोधपत्र।

वीरसागर जैन

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