Prashnabyooh Mein Pragya

  • Format:

लीलाधर जगूड़ी कई बातों में विलक्षण कवि हैं, अनूठे कवि भी। उनकी कविताओं का अपना अन्दाज़ है, अपना व्यक्तित्व। उनकी दशकों पुरानी कविताओं में भी आज का टटकापन है। हिन्दी कविता में ऐसी अलग-सी पहचान बड़ी मुश्किल से बन पाती है। उनकी कविता में पहाड़ या हिमालय नहीं, क्योंकि वह प्रकृति नहीं, मनुष्य के कवि हैं। उनकी साहित्य में उतनी चर्चा नहीं हो सकी, जितनी चाहिए थी। गढ़वाल-कुमाऊँ विश्वविद्यालय तो जाने क्या कर रहे हैं। - नामवर सिंह\nजगूड़ी उन थोड़े से कवियों में हैं, जो धूमिल के साथ हिन्दी कविता के परिदृश्य में आये, पर उनकी कविताएँ बिल्कुल अलग ढंग से अपनी पहचान बनाती हैं। यथार्थ के चटक बिम्बों का कल्पनाशील संयोजन उनके रचना-कौशल का एक प्रमुख गुण है। उनमें एक सुपरिचित जीवन दृष्टि का स्थायित्व है। साथ ही नये अनुभवों को कई तरह से प्रस्तुत करने की चेष्टा। - कुँवर नारायण\nलीलाधर जगूड़ी अपने समय, समाज, इतिहास और उसमें मनुष्य की यातना और दुर्दशा पर कविताएँ लिख रहे हैं। ख़ासकर मुझे उनकी कविता में जो बात आकर्षित करती है-प्रकृति से मनुष्य की तुलना की उन्होंने अद्भुत कल्पना की है। जगूड़ी कैसे सीधे समझाते हैं, जैसेकि प्रकृति को हम समझते हैं। राजनीति की विडम्बनाओं में फँसे मनुष्य की दुर्गति पर भी वह बड़ी पैनी निगाह रखते हैं। यह उल्लेखनीय बात है कि जगूड़ी का एक बड़ा पाठक वर्ग है। - मैनेजर पाण्डेय\nलीलाधर जगूड़ी की कविताओं की विकास यात्रा को गौर से देखें तो पता चलता है कि उनकी कविता पर हिन्दी आलोचना ने काम नहीं किया है। हालाँकि आलोचना का पूरा परिदृश्य ही ऐसा है कि वहाँ इस दिशा में कोई उल्लेखनीय काम न तो हुआ है, न हो रहा है। काफ़ी अलग और लगातार लिखना जगूड़ी की बड़ी विशेषता है। वे कई मायने में विरल कवि हैं। -केदारनाथ सिंह

लीलाधर जगूड़ी - जन्म : 1 जुलाई 1940, धंगण गाँव, टिहरी (उत्तराखंड)। ग्यारह वर्ष की अवस्था में घर से भागकर अनेक शहरों और प्रान्तों में कई प्रकार की जीविकाएँ करते हुए शालाग्रस्त शिक्षा के अनियमित क्रम के बाद हिन्दी साहित्य में एम.ए.। फ़ौज (गढ़वाल राइफल) में सिपाही। लिखने-पढ़ने की उत्कट चाह के कारण तत्कालीन रक्षामन्त्री कृष्ण मेनन को फ़ौज से मुक्ति के लिए प्रार्थनापत्र भेजा, फलतः छुटकारा। 1970 के 13 सितम्बर को भयंकर प्राकृतिक त्रासदी में परिवार के सात लोगों की एक साथ मृत्यु। 1966-80 तक शासकीय विद्यालयों में शिक्षण-कार्य और बचे हुए परिवार का पुनर्वास उत्तरकाशी में। यहाँ भी त्रासदी में घर तथा बेटे का व्यावसायिक संस्थान 17 जून 2013 को नेस्तनाबूद। 1980 में पर्वतीय क्षेत्र में प्रौढ़ों के लिए लिखी हमारे आखर (प्रवेशिका) तथा कहानी के आखर पाठ्य-पुस्तकें साक्षरता निकेतन, लखनऊ से प्रकाशित। राजस्थान के कवियों के संकलन लगभग जीवन का सम्पादन। अखिल भारतीय भाषाओं की नाट्यालेख प्रतियोगिता में 1984 में पाँच बेटे नाटक पर प्रथम पुरस्कार तथा फ़िल्म निर्माण। मराठी, पंजाबी, मलयालम, बांग्ला, उड़िया, उर्दू आदि भारतीय भाषाओं में तथा रूसी, अंग्रेज़ी, जर्मन, जापानी और पोलिश आदि विदेशी भाषाओं में कविताओं के अनुवाद। यू.पी. पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा उत्तर प्रदेश की सूचना सेवा के लिए चयन। सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, उ.प्र. की मासिक पत्रिका 'उत्तर प्रदेश' तथा नये राज्य उत्तरांचल की प्रथम पत्रिका 'उत्तरांचल दर्शन' का सम्पादन। सेवानिवृत्ति के बाद उत्तरांचल के प्रथम सूचना सलाहकार रहे तथा उत्तराखंड संस्कृति साहित्य एवं कला परिषद के प्रथम उपाध्यक्ष। प्रकाशित कविता-संग्रह : शंखमुखी शिखरों पर, नाटक जारी है, इस यात्रा में, रात अब भी मौजूद है, बची हुई पृथ्वी, घबराये हुए शब्द, भय भी शक्ति देता है, अनुभव के आकाश में चाँद, महाकाव्य के बिना, ईश्वर की अध्यक्षता में, ख़बर का मुँह विज्ञापन से ढका है, कवि ने कहा, जितने लोग उतने प्रेम, ईश्वर का समकालीन कवि। गद्य : मेरे साक्षात्कार, रचना प्रक्रिया से जूझते हुए। सम्मान : रघुवीर सहाय सम्मान, भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता द्वारा सम्मानित। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के नामित पुरस्कार सहित अन्य सम्मान। अनुभव के आकाश में चाँद के लिए 1997 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित। 2004 में पद्मश्री से अलंकृत। एशिया और यूरोप के कुछेक देशों की यात्राएँ। भारत की केन्द्रीय साहित्य अकादेमी द्वारा राइटर्स ऐट रेजीडेंस-फेलोशिप से सम्मानित। सम्प्रति : पूर्णतः स्वतन्त्र लेखन। केन्द्रीय साहित्य अकादेमी की सामान्य सभा के सदस्य। सम्पर्क : 7, सीता कुटी, सरस्वती एन्क्लेव, बदरीपुर रोड (जोगीवाला), देहरादून-248005 फोन : 0135-2666548, मो. 09411733588

लीलाधर जगूड़ी

Customer questions & answers

Add a review

Login to write a review.

Related products

Subscribe to Padhega India Newsletter!

Step into a world of stories, offers, and exclusive book buzz- right in your inbox! ✨

Subscribe to our newsletter today and never miss out on the magic of books, special deals, and insider updates. Let’s keep your reading journey inspired! 🌟