प्राचीन काल से ही भारत में मेलों का प्रचलन रहा है। देश के कोने-कोने में विभिन्न प्रकार के मेलों का आयोजन आज भी होता है। इनमें कुछ सामाजिक मेले, कुछ धार्मिक मेले तथा कुछ मात्र वस्तुओं और पशु-पक्षियों के क्रय विक्रय तक ही सीमित हैं। परंतु कुंभ मेला उच्च स्तर की आस्था वाला आध्यात्मिक मेला है। इसका प्रभाव विश्वव्यापी है। कुंभ मेले के आयोजन की परंपरा हजारों साल से चली आ रही है। यह वेदों के समय से ही प्रचलित है। लाखों की संख्या में वृद्ध, युवा, स्त्री-पुरुष, स्वस्थ, अपंग, कमजोर, सशक्त बेझिझक इस समागम में अध्यात्म एवं पुण्य लाभ उठाने आते हैं। कुंभ पर्व एक ऐसा अमूल्य अवसर है, जहाँ भारत के सभी बड़े धार्मिक आचार्यों, संत-महात्माओं के ज्ञान और विचारों का ज्ञान लाभ हमें मिलता है। अधिकतर श्रद्धालु यहाँ कर्म और मोक्ष के सिद्धांतों को जानने, गंगास्नान कर अपने जीवन को सार्थक करने आते हैं। कुंभ की महिमा वर्णनातीत है। भारतीय संस्कृति एवं आध्यात्मिकता का कल्याणकारी संदेश देनेवाले कुंभ महापर्व की विस्तृत जानकारी देनेवाली एक उपयोगी पुस्तक।
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