भारतवर्ष में ज्ञान संचय की दीर्घ परंपरा रही है। हमारे ऋषि-मुनियों तथा तपस्वियों के अनुभव और अनुसंधान पौराणिक साहित्य—वेद; पुराण; उपनिषद्; ब्राह्मण ग्रंथों आदि—में भरा पड़ा है। जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं; जिसको इस ज्ञान से निर्देशन न मिलता हो। भारतीय जनमानस को यह अकूत ज्ञान पीढ़ी-दर-पीढ़ी मिलता रहा है।\n\nपुराणों में एक प्रकार से इतिहास-घटनाओं का विवरण ही है; परंतु इन्हें इतिहास नहीं कहा गया है; ये इतिहास से भिन्न हैं। जो ज्ञान पुराना होते हुए आज भी प्रासंगिक है; वही पुराण है।\nवैसे तो पुराण संख्या में काफी हैं; परंतु मुख्य पुराण अठारह ही हैं और सभी पुराणों में अलग-अलग विषयों का विवेचन किया गया है तथा मानव-कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया गया है।\nइस प्रकार; विविध विषयी-ज्ञान से परिपूर्ण इन पुराणों का हिंदू मान्यताओं में महत्त्वपूर्ण स्थान है। जन्म से लेकर मृत्यु तक के मानव-संस्कार इन्हीं पर आधारित हैं। प्रस्तुत पुस्तक इन पुराणों की रोचक एवं ज्ञानवर्द्धक कथात्मक प्रस्तुति है।
Harish Sharma: Immerse yourself in the enchanting world of ancient Indian mythology and legends with this collection of tales from the Puranas. Harish Sharma presents readers with narratives that explore the rich tapestry of Hindu mythology, offering insights into the gods, goddesses, and moral lessons conveyed through these stories.
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