‘पुरबी बयार’, पुरबिया के जनक माने जाने वाले महेन्दर मिसिर के जीवनकाल पर आधारित उपन्यास है। उपन्यासकार संजीव ने ‘सत्य के गिर्द लताओं की तरह लिपटी अनेक कथाओं में अक्सर उलझती’ कथा को विवेकपूर्ण तार्किकता से बुना है। इस कथा में महेन्दर के साथ दूसरे चरित्र भी बहुत शक्ति और लेखकीय विशवास के साथ आए हैं।
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