राजा राममोहन राय - \nराजा राममोहन राय कोई साधारण इन्सान न थे। सम्पन्न परिवार में जन्म लेकर भी उन्होंने आम जनता की भलाई के लिए कार्य किये। सबसे पहले उन्होंने सती प्रथा जैसी भयंकर और पीड़ादायक प्रथा को बन्द करवाया और पति की मृत्यु के बाद स्त्री को सम्मानित जीवन जीने का हक़ दिलवाया। दूसरी, कुप्रथा जो इस समाज के लिए कलंक थी, वह थी बाल विवाह। इस प्रथा को बन्द करने में भी राजा राममोहन राय ने अपना भरपूर योगदान दिया। उन्होंने लोगों को समझाया कि शादी-विवाह जैसे कर्म के लिए उन्हीं बच्चों को प्रोत्साहित करें, जो इस योग्य हों।\nलेखक ने राजा राममोहन राय की जीवन-कथा को सिलसिलेवार अंजाम तक पहुँचाया है इसलिए वह अत्यन्त पठनीय बन पड़ी है। इतना ही नहीं राजा राममोहन राय का जो संघर्ष था——\nसमाज-सुधार में उनके योगदान के लिए, लेखक ने उसे ख़ासतौर पर रेखांकित किया है।\nनिश्चित ही यह पुस्तक बच्चों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
लक्ष्मेद्र चोपड़ा - जन्म : 18 जून, 1952 । शिक्षा: समाजशास्त्र में एम.ए.। पत्रकारिता-जनसंचार माध्यम और अंग्रेज़ी में डिप्लोमा। पत्रकारिता, आकाशवाणी तथा टेलीविज़न मीडिया में 44 साल का अनुभव। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में सभी विधाओं की रचनाओं का प्रकाशन। 2 कहानी संग्रह, मीडिया पर 3 किताबें और कुछ नाटक प्रकाशित। नाटकों का मंच पर प्रदर्शन। विदेश की लम्बी यात्राओं के ज़रिये सामाजिक, ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक पक्षों पर शोध तथा फुटकर लेखन।
लक्ष्मेंद्र चोपड़ाAdd a review
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